भगवान से प्यार के साथ ठेंठ बातें करें (Speak Directly To God With Love) - Aniruddha Bapu
परमपूज्य सद्गुरू श्री अनिरुद्ध बापू ने अपने २० नवंबर २०१४ के हिंदी प्रवचन के दौरान ‘भगवान से प्यार के साथ ठेंठ बातें करें’ 'Speak Directly To God With Love' इस बारे में बताया।
भगवान को हासिल करने के लिए किसी दलाल की आवश्यकता नही होती है। ऋगवेद, यजुर्वेद और सामवेद में ठेंठ भगवान से करनेवाली प्रार्थनाएं दी गयी हैं। अथर्ववेद में मन्त्र-तन्त्र आदि का गलत इस्तेमाल करनेवाले जातुधानों का नाश कैसे किया जाता है’ ये बता गया है। भगवान को बस प्यार से जिस भाषे में बात कर सकते है। यही भाषा होगी तोही भगवान लाभ देगा ऐसा नही है।
‘ हनुमान चलिसा ’ इस स्तोत्र के विलक्षण अनुभव श्रद्धावानों को क्यों प्राप्त होते हैं? इस स्तोत्र का आविष्करण कैसे हुआ? संतश्रेष्ठ श्री तुलसीदास के सामने साक्षात भगवान खडे है, उन्हें दर्शन हो रहा है, उन्हें देखकर वे लिख रहे है। किसके लिए, खुद के लिए नही, खुद के राम के लिए भी नही, बल्कि सारे भक्तों के लिए, सारे श्रद्धावानों के लिए। हनुमानजी उनके सामने खडे रहकर उनसे लिखवा रहे है। उसके बाद मे संतश्रेष्ठ तुलसीदासजी ने स्वयं ‘ हनुमान चलिसा ’ का एक करोड बार पारायण किया। वह भी कैसे, तो गंगा नदी में आधे जल में खडे रहकर किया। तभी से संत तुलसीदासजी का सामर्थ्य इस स्तोत्र के पीछे है। उसके बाद कितने सारे श्रद्धावानों ने हनुमान चलिसा का पठन किया, उनकी भी ताकद उसमें है। यह स्तोत्र ऐसे अपने आप सिद्ध होते जा रहा है।
यदि यह सब कुछ हम नही जानते तो भी कोई प्रॉब्लेम नही, भगवान को प्यार से, सिर्फ उनका नाम लेकर पुकारा जाये तो भी वह काफ़ी है, यह हमारे प्यारे सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ने अपने प्रवचन में बताया, वो आप इस व्हिडिओ में देख सकते है।
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥