शुद्ध स्वधर्म स्तंभ - श्रीशब्दध्यानयोग, श्रीश्वासम्, श्रीस्वस्तिक्षेम संवादम्, श्रीगुरुक्षेत्रम् मंत्र (Shuddha swadharm pillars - Shreeshabdadhyaanyog, Shreeshwasam, Swastikshem Sawadam, Shree Gurukshetram Mantra - Aniruddha Bapu)
परमपूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने २२ अक्तूबर २०१५ के पितृवचनम् में ‘शुद्ध स्वधर्म स्तंभ’ - ‘श्रीशब्दध्यानयोग, श्रीश्वासम्, श्रीस्वस्तिक्षेम संवादम्, श्रीगुरुक्षेत्रम् मंत्र’ के बारे में बताया।
‘श्रीशब्दध्यानयोग इस स्तंभ के बारे में बताने के बाद अन्य स्तंभों की जानकारी देत् हुए बापू ने कहा- श्रीश्वासम्! हम लोग श्रीश्वासम् सुनते हैं, वहॉ जो अपने आप जो ब्रीदींग होता है, जब तब सुन रहे होते हैं, उस ब्रीदिंग से हम लोग जो बुराई बाहर छोडते हैं, उसे कौन खींचती है? आदिमाता साक्षात् महिषासुरमर्दिनी अदिति वह खींच लेती है और उसको शुद्ध करके अपने नासिकाओं में भर देती है। हम उसी श्वास को अंदर लेते है। ये क्रिया अपने अपने होती है सिर्फ हमें बडे प्यारसे सुनना है। जितना आप लोग चाहो उतना उस आवर्तन को लेकीन प्यार से सुनना है। ये ‘श्रीश्वासम्’ सेकंड पिलर है, ऐसे बापूने कहा।
तीसरा है, जो हम हर गुरुवारको यहॉ करते हैं - ‘श्रीस्वस्तिक्षेमसंवादम्!’
याने हम चंडिकाकुल के हर सदस्य से हम चाहते हैं, उससे अपने मन में बाते करते हैं। जोर जोर चिल्ला कर दूसरे को तकलीफ नहीं करनी है। जो संवाद हम करते हैं उसे मॉ के लेफ्ट हाथ मे जो शंख है, जो उसने अपने कान से लगा रखा है, किसलिए? तो सारे बच्चों की बाते सुनने के लिए। which is receiver, वहॉ कौन बैठा हुआ है? हम जानते है| right, तो श्रीस्वस्तिक्षेमसंवादम् में जो हम लोग बाते करते हैं, उसके साथ वो बात मॉ सुनती है, उस शंख के जरिये। सिर्फ मॉंगते नहीं रहना। कुछ लोग तो सिर्फ मॉंगते ही रहते है पूरे ५ मिनट तक। ऐसे मत करो, मॉ से प्यार से बातें भी करो ना। वो क्या दुकानदार है क्या, बैठी हुयी? नहीं! हां, बडे प्यार से बोल सकते हैं कि मै ऐसा करुंगा वैसा करुंगा, जरूर मांगो, हक से मांगो; लेकिन सिर्फ मांगते ही ना रहो तो प्यार से बात भी करो - मॉ कैसी है? क्या है? संवाद यानी संवाद होना चाहिए। सिर्फ मॉंगना तो भीख मांगना हो गया ना? मॉ से कोई भीख नहीं मांगते। वो तो दादी है, मॉ से भी बढकर प्यार दादी और नानी का होता है। यहॉ तो हमें भीख मांगनी ही नहीं चाहिए। प्यार के साथ पेश आओ भाई। तो ये तीसरा पिलर ‘श्रीस्वस्तिक्षेमसंवादम्’ है।
फिर बापू ने कहा- चौथा पिलर यानी पहले दिया था, वो क्या है? ‘श्रीगुरुक्षेत्रम् मंत्र’ उस में क्या है? बीज, बीज के बाद में अंकुर, उसके बाद में उन्मीलन यानी उसकी ग्रोथ। ये तीनों बातें उसके तीन हिस्सों में बटी हुई हैं। तिनो चिजोंसे जुडी हुयी है। ऐसे है गुरुक्षेत्र मंत्र। बाकी की सारी उपासना अलग अलग हम लोग करते रहेंगे। ये चार पिलर क्या हैं? हम कितने भी पापी क्यूं ना हो, हम कितने पुण्यवान क्यूं ना हो, हम कितने झूठे कर्मपूर्ण क्यूं ना हो, नसीब कभी खराब होता है ऐसा नहीं होता, समझो लेकिन है किसी का, वो भी बदल जाएगा। ये भी ध्यान में रखो कि हम कितने भी बुरे क्यों ना हों, हम कितने भी पापी क्यूं ना हो, नो प्रॉब्लेम्स्! यहॉ हमारे बापू के पास, हमारे दादी के पास पुरी क्षमा है। ५०% क्षमा की, ५०% सजा दी ऐसी बात नहीं है। मॅक्झिमम वो कोशिश करती रहती है कि सबको क्षमा्दान मिले। उसके ११नामों का हम ने अभी सुमिरन किया- जयंती, मंगला, काली, भद्रकाली, कपालिनी, दुर्गा, क्षमा, शिवा, धात्री, स्वाहा, स्वधा नमोस्तुते। दुर्गा, क्षमा, शिवा। ओके!
ये जो चार स्तंभ हमे मिल गये ये धर्मस्तंभ हैं। क्या है धर्मस्तंभ? कौनसा धर्म? मै किसी धर्म की बात नहीं कर रहा हूं। ये धर्म कौनसा? शुद्ध स्वधर्म। शुद्ध स्वधर्म के चार स्तंभों के बारे में हमारे सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥