श्रीशब्दध्यानयोग जीवन में सुसंगति एवं सन्तुलन लाता है (Shreeshabdadhyanyoga brings the harmony and balance in life) - Aniruddha Bapu Pitruvachanam 15 Oct 2015
परमपूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने १५ अक्तूबर २०१५ के पितृवचनम् में ‘श्रीशब्दध्यानयोग जीवन में सुसंगति एवं सन्तुलन लाता है’ इस बारे में बताया।
अनिरुद्ध बापू ने पितृवचन के दौरान यह बताया कि हम जिन व्यक्तियों के साथ रहते हैं, जिन व्यक्तियों के साथ हमारा रोजमर्रा का काम होता है, उनके साथ हमारे सप्तचक्र जुडे हुए होते हैं। इस लिए जिस घर में यह balance नहीं है, उस घर के सदस्यों के सप्तचक्र एक दूसरे के साथ harmony में नहीं होते हैं, संतुलन में नहीं होते हैं, शांतिपूर्ण स्थिति में नहीं होते हैं और सभी problem सप्तचक्र के imbalance होने के कारण ही होते हैं। ये हमने श्रीश्वासम् में देखा है।
अब यह जो वैदिक उपासना है इसकी निर्मिति, ब्रह्मर्षि अगस्त्य, उनकी पत्नी लोपामुद्राजी, उनके छोटे बंधु ब्रह्मर्षि वसिष्ठ, उनकी पत्नी अरुंधतीजी, ब्रह्मर्षि कश्यप और उनकी पत्नी अदितिमतिजी और ब्रह्मर्षि याज्ञवलक्य इन सात लोगों ने मिलकर ‘श्रीशब्दध्यानयोग’ की निर्मिती की है। इस में क्या होता है? यह बडी सुंदर और आसान बात है। हम साल में एक बार ही यह करेंगे, तो नहीं चलेगा। खाना एक बार ही खाया तो क्या चलेगा? नहीं ना!
यह उपासना हम घर में नहीं कर सकते क्योंकि इसके लिए आधारभूत तत्त्व चाहिए, आधारभूत शक्ति चाहिए। हर एक इन्सान के पास ऎसी शक्ति नहीं होती। Power House में जो electricity रहती है वैसी की वैसी यदि घर में आ जाये तो सब नष्ट हो जायेगा। ऊर्जा ग्रहण करने के लिए एक system होनी चाहिए। वही system हम लोग बनाने वाले हैं, बनाई जा रही है, बन रही है।
जो गुरुवार को आयेगा, उसके सप्तचक्रों के असंतुलन को, dis-harmony को correct करना, ठीक करना, सही करना, तंदुरुस्त करना यह कार्य ‘श्रीशब्दध्यानयोग’ में होगा।
‘श्रीशब्दध्यानयोग जीवन में सुसंगति एवं सन्तुलन लाता है’ इस बारे में हमारे सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥