शिवपंचाक्षरी स्तोत्र यह ‘ॐ नमः शिवाय' इस मंत्र का ही स्पष्टीकरण है (Shivapanchakshari Stotra Depicts The Mantra ‘Om Namah Shivaya’) - Aniruddha Bapu
परमपूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने ०२ मार्च जनवरी २०१७ के पितृवचनम् में शिवपंचाक्षरी स्तोत्र यह ‘ॐ नमः शिवाय' इस मंत्र का ही स्पष्टीकरण है’, इस बारे में बताया।
ये शिवपंचाक्षरी स्तोत्र क्या करता है, 'ॐ नमः शिवाय' इस मंत्र का ही explanation देता है, स्पष्टीकरण करता है। हमें जानना चाहिये कि ये हमें ये तत्व भी सिखाता है कि भाई, प्रार्थना करनी है तो कैसी कि भगवान ही सब कुछ करता है, भगवान ही सब कुछ करवाता है और मैं तो सिर्फ क्या हूं? निमित्तमात्र हूं, भगवान मुझ पर कृपा करो।
काम करते समय, मेरा भगवान देख लेगा, ‘असेल माझा हरी तर देईल खाटल्यावरी’, नहीं चलेगा। बाबा ने हमें क्या बोला है? ‘तुम्ही जोर काढू लागा। दुधाची काळजी सर्वस्वी त्यागा। वाटी घेऊनि उभाचि मी मागां।’ परंतु लोग क्या करते हैं कि बाबा, सूर्यनमस्कार निकालें, जोर निकालें, exercise करें और हम लोग दूध पियें। बाबा ने स्पष्ट शब्दों में कहा है, चौपाई में बताया है कि ऐसा तो होनेवाला नहीं है।
इसलिये, प्रार्थना इतने दिल के साथ करो, पूरे मन के साथ करोो कि भगवान तू ही सब कुछ है, तू ही सब कुछ करवाता है। और काम करते समय ऐसा नहीं सोचो कि भगवान आके सब कुछ करेगा। भगवान देख रहा है, मुझे ही सब कुछ करना है, लेकिन जहां भी जरूरत पडे, मैं चाहूं या न चाहूं तो भी भगवान आनेवाला है। ओके, sure!
आज बिल्वपत्र अर्पण करते समय आप लोग क्या अर्पण करेंगे इस साल? अपना मन, प्राण और प्रज्ञा। मन, प्राण और प्रज्ञा रूपी बिल्वपत्र को अर्पण करना है। अपने यजुर्वेद में बहुत बडा स्तोत्र है, जिस में कहते हैं- ‘तन्मे मन: शिवसंकल्पमस्तु।’ यानी हे भगवान, मेरा मन जो है, शुभ संकल्प करनेवाला हो, मेरे मन में कभी अशुभ संकल्प आये ही नहीं। तो आज हमारा मन-प्राण-प्रज्ञावाला बिल्वपत्र अर्पण करते हैं, तो हमारे मन का कुछ हिस्सा तो शुभ बनेगा। और शिवरात्री से शुरू करते हैं तो वो अपना काम करता ही है।
हमारे सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ने पितृवचनम् में जो बताया, वह आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥