रं बीज और स्वरूपान्तर की शक्ति (Ram Beej And The Power of Transformation) - Aniruddha Bapu Pitruvachanam 03 Mar 2016
परमपूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने अपने ०३ मार्च २०१६ के पितृवचनम् में ‘रं बीज और स्वरूपान्तर की शक्ति’ के बारे में बताया।
मैंने बार बार बताया कि राम यह पुरुषार्थ है और जानकी उस पुरुषार्थ का फ़ल है। राम क्या है, तो पुरुषार्थ स्वरूप है, ओज स्वरुप है और जानकी उस पुरुषार्थ का फल है। फल से आगे और बीज होते हैं यानी पुरुषार्थ की शक्ति ही है वो, सो पुरुषार्थ से उसका फल हरण किया गया है। यानी हम प्रयास करते हैं, करते हैं, असफ़ल होते हैं । असफलता दिलाना यही रावण का ध्येय है यानी पुरुषार्थ से उसका फल दूर करना। राम नाम कैसे बनता है? तीन बीजोंसे र+आ+म । र यह अग्नि बीज है, fire अग्नि The power of Transformation fire यानी । जग में जो भी कितने chemicals है या metal है। जो भी Atoms हैं, molecules हैं, उनमें change किस कारण आता है? fire के कारण, अग्नि के कारण। पंचमहाभूतों में सिर्फ़ एक ही तत्त्व ऐसा है fire, जिसके वजह से Transformation होता है यानी स्वरुपांतर होता है । so यह रं बीज जो अग्नि बीज है, उसमें पूरी की पूरी बुराई को अच्छाई में transform करती है। यानी बदल देने की ताकद । आ बीज याने भानुबीज याने सूर्य का बीज वो भी कैसे सूर्य, रवि, सूरज दाहक नहीं है। तो जिस प्रकार से वनस्पति अन्न बनाती है, जिसके प्रकाश से मनुष्य के शरीर मे D जीवनसत्त्व बनता है और सारी enzymes systems कार्यान्वित होती है, जो vitamin D नहीं होता तो किडनी खराब हो जाती है, हड्डियां खराब हो जाती हैं। brain संतुलित नहीं रहता। हमें अन्न देने वाला कोन है? सूरज है। हमें बरसात देने वाला कोन है? सूरज है । आ यानी भानुबीज, उसे सूर्यबीज नहीं कहा गया है भानु यानी तुम्हारे भार का वहन करनेवाला तुम्हारा भार हलका करनेवाला हमारे सरपर जो भार है उसे हलका करनेवाला यै भानुबीज है आ और म (र+आ+म) । र है अग्निबीज, आ है भानुबीज मकार यह चंद्रबीज है । मकार यह सौम्यता का प्रतीक है यानी संतुलन करना, balance करना । अग्नि जो दाहक नहीं तो पाचक है, ok। जठराग्नि है हमारा। दाहक हुआ तो ulcer होता है। पाचक है तो अच्छा पचन होता है और बहुत कम हो गया तो बाद की बीमारी होती है। right। सूरज भी दाहक बने तो cancer भी हो सकता है । लेकिन हमारी पृथ्वी safe distance पर है, don't worry। ozon कि layer भी है protect करने के लिए। राम नाम में Transformation ताकद है। fire यह अग्नि है इसमें क्या शक्ति है? अग्नि यानी प्राणः यानी हर क्रिया करने की शक्ति रं बीज है। आ बीज यानी भानुबीज यानी हमारे भार को हलका करने के लिए यानी हमारी ताकद जहां जहां कम पडती है उसके लिये भगवान जो ताकद देता है, वह ताकद आ बीज में है और balance करने की ताकद म बीज में है। इसीलिए राम यह पुरुषार्थ-स्वरूप है।
‘रं बीज और स्वरूपान्तर की शक्ति’ के बारे में हमारे सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥