मन का पथ - भाग २ (Path of Mind - Part 2)
मेरा साई मेरी सहायता अवश्य करेगा (My Sai will definitely help me) - Aniruddha Bapu
परमपूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने २९ जनवरी २०१५ के अपने हिंदी प्रवचन में ‘मेरा साई मेरी सहायता अवश्य करेगा’, इस बारे में बताया।
हमारे विचार से हमारे मन का पथ बनता है। साई हमेशा यह ध्यान रखते हैं कि श्रद्धावान के मन का पथ कहीं भटक ना जाए। हमारा मन का पथ हमारी वाणी से बनता है, इसलिए हमें अच्छी कथाएं बार बार सुननी चाहिए, साईसचचरित का पारायण करना चाहिए, श्रद्धावानों के अनुभव पढने चाहिए। इन सब बातों से फायदा होता है। यह पढकर मन में विश्वास जागृत होता है कि इतने सारे श्रद्धावानों को सहायता मिली तो मुझे भी सहाय्यता जरूर मिलेगी। इससे हमारे मन का पथ बनता है, हमारा भरोसा बढ जाता है। मेरा साई बैठा है, वह मेरी किसी न किसी तरह से सहायता अवश्य करेगा, यह मन का पथ तैयार हो जाता है, ऐसा हमारे प्यारे सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ने प्रवचन में बताया, वो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं।
हर एक के मन का पथ युनिक होता है (Every Individual's path of mind is unique) - Aniruddha Bapu
परमपूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने २९ जनवरी २०१५ के अपने हिंदी प्रवचन में ‘हर एक के मन का पथ युनिक होता है’, इस बारे में बताया।
कुछ छात्र यदि सोचते हैं कि मुझॆ मार्कस् कम क्यो मिलते हैं? नो प्रॉब्लेमस्! माँ-बाप को चाहिए कि वे उस सबजेक्ट के अलावा जो अन्य सब्जेक्टस (कोर्सेस) हैं, उनकी खोज करें। वे दूसरा मार्ग, अलग मार्ग ढूंढ निकालते हैं। यह दूसरा पथ खोजना चाहिए। हर एक बच्चा अलग है। पहले हर मनुष्य को अपने बारे में जान लेना चाहिए कि उसके जैसा और कोई नही है, वह युनिक (unique) है। उसके जैसा कोई हो ही नहीं सकता। ना तो पहले हुआ है और ना ही आगे चलकर होनेवाला है। इसलिए हर एक का पथ भी युनिक होता है, अलग होता है, ऐसा हमारे प्यारे सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ने प्रवचन में बताया, वो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं।
भगवान की कथाएं तुम्हारे मन को सकारात्मक बनाती हैं (The stories of God makes your path of mind positive) - Aniruddha Bapu
परमपूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने २९ जनवरी २०१५ के अपने हिंदी प्रवचन में ‘भगवान की कथाएं तुम्हारे मन को सकारात्मक बनाती हैं’, इस बारे में बताया।
मानव को स्वयं से कहना चाहिए कि सबकी अच्छी बातों को मै जरूर सुनूंगा, मेरे हितचिंतकों की बातों को मै जरूर आदरतापूर्वक स्वीकार करूंगा, मगर फिर भी मेरे मन का पथ मुझे स्वयं ही निर्माण करना है। मेरे अनुभव सब से अलग होने के कारण उस अनुभव से बने मेरा जीवन भी अलग होता है और मन का पथ भी अलग होता है। इसलिए मेरे जीवन को मुझे ही तय करना है। जो विचार मैं बार बार करता रहूंगा, उससे मेरे मन का पथ बनता है। भय के कारण, Fear of performance के कारण कमजोरी, दुबलापन उत्पन्न होता है। मेरा performance कैसे होगा? perfect होगा या नहीं होगा? इसकी चिंता हमें सताती रहती है। Nothing is perfect, perfection is illusion। यह भ्रम है। भगवान के सिवा कोई परफेक्ट हो ही नहीं सकता। भगवान की कथा सुनते रहो, भगवान की कथा में भगवान के भक्तों का यश होता है। इसलिए उन्हें बार बार पढना, दोहराना, बोलना, सुनना चाहिए, जिससे कि मेरे मन का पथ सकारात्मक बनता है, ऐसा हमारे प्यारे सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ने प्रवचन में बताया, वो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं।
अपने आत्म-सम्मान का ध्यान रखिए (Take care of your self respect) - Aniruddha Bapu
परमपूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने २९ जनवरी २०१५ के अपने हिंदी प्रवचन में ‘अपने आत्म-सम्मान का ध्यान रखिए’, इस बारे में बताया।
पर्फेक्शन की बात छोड दो। कोई पर्फेक्ट नहीं बन सकता। मुझे भगवान का प्रिय बनना चाहिए। भगवान का प्रेम मुझ को बढना है। मैं भक्ति किस तरह बढाऊं जिससे कि मेरी जिंदगी सफल बन जाये, यह सोचिए। भगवान का नाम लेना, कथाएं सुनना, कथाएं बार बार पढना, उन्हें दोहराना, उन्हें बोलना- सुनना चाहिए, जिससे कि मेरे मन का पथ सकारात्मक बनता है। यह आत्मविश्वास (self confidence) का रास्ता होता है। यह आत्मसम्मान का मार्ग है। आत्मसम्मान (Self respect) का होना बहुत आवश्यक होता है। People treat you only one way, The way you allow them to treat you, यह कभी भी भूलना नहीं चाहिए। अपने आत्म-सम्मान का ध्यान मानव को स्वयं ही रखना चाहिए। भगवान के सिवा कोई भी हम पर यह मेहरबानी करनेवाला नहीं है, यह हमारे प्यारे सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ने प्रवचन में बताया, वो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं।
पिपीलिका मार्ग यह सब से श्रेष्ठ मार्ग है (Pipilika path is the best path) - Aniruddha Bapu
परमपूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने २९ जनवरी २०१५ के अपने हिंदी प्रवचन में ‘पिपीलिका मार्ग यह सब से श्रेष्ठ मार्ग है’, इस बारे में बताया।
हमे बेहतरीन जिंदगी की तरफ़ आगे बढना चाहिए। श्रावण का महिना यह व्रतों का महिना है। ‘श्रवणात् श्रावण:’। इस महिने में मॉ चण्डिका अपना शंख कानों से लगाकर अकसर सुनती रहती है। आरती करते समय दूसरे से तुलना मत कीजिए। आरती में आर्तता होना आवश्यक है। मेरे मन के पथ को आत्मविश्वास से बनाना है। तो पहले perfection के पीछे पडना छोड दो। सिर्फ हर दिन Progressive रहो यानी प्रगती करते रहो। जिंदगी हसीन होती है। पिपीलिका (चींटी) यह मार्ग सभी मार्गों से श्रेष्ठ मार्ग है और इसीलिए हमें पिपीलिका मार्ग पर से आगे चलते रहना चाहिए, यह हमारे प्यारे सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ने प्रवचन में बताया, वो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं।
हरिगुरु-गुणसंकीर्तन करते रहो (Keep doing Hari-Guru-Gunasankeertan) - Aniruddha Bapu
परमपूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने २९ जनवरी २०१५ के अपने हिंदी प्रवचन में ‘हरिगुरु-गुणसंकीर्तन करते रहो’, इस बारे में बताया।
हमे हमारा विकास करते रहना है। विकास करते रहने के समय मन का पथ बनाते रहना है । मन का पथ सिर्फ हरिगुरुकथा-स्मरण से ही आत्मविश्वासपूर्ण होता है। दूसरी किसी सी भी चीज से आपके मन का पथ आत्मविश्वासपूर्ण नहीं बन सकता। क्यों कि परमात्मा में रहने वाले के विश्वास में ही आत्मविश्वास होता है। परमात्मा में विश्वास न होने वाले के पास आत्मविश्वास कैसे आयेगा? मानव को यह सोचना चाहिए कि वह सब से अलग है। लेकिन मुझे जैसा आवश्यक है वैसा ही बनकर मेरा भगवान मेरे लिए आता है। हमें बस हरिगुरु -गुणसंकीर्तन करते ही रहना चाहिए, यह हमारे प्यारे सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ने प्रवचन में बताया, वो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं।
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥