Sadguru Aniruddha Bapu

‘जेएनयू’ में चल रहे देशविघातक कारनामों के पीछे पाक़िस्तान का हाथ

JNU2‘जेएनयू’ में चल रहे देशद्रोही कारनामों के पीछे ‘ज़मात-उल-दवा’ का प्रमुख हफ़ीज़ सईद का हाथ है, ऐसा केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंग ने कहा था। सईद के ट्वीटर अकाऊंट पर से ‘जेएनयू’ में चल रहे भारतविरोधी प्रदर्शनों का समर्थन किया गया था। साथ ही, पाक़िस्तान सरकार भी ‘जेएनयू’ के इन प्रदर्शनों की सहायता करें, ऐसी माँग सईद ने इस ट्वीटर अकाऊंट के ज़रिये की थी। लेकिन यह ट्वीटर अकाऊंट हफ़ीज़ सईद का न होने के दावे किये गये। इस कारण गृहमंत्री ने इस संदर्भ में किये हुए आरोपों का कोई भी आधार नहीं है, ऐसी आलोचना शुरू हुई थी। साथ ही, गृहमंत्री को इस तरह के ग़ैरज़िम्मेदाराना वक्तव्य नहीं करने चाहिए थे, ऐसे ताने भी मारे जा रहे थे। हफ़ीज़ सईद के नाम से चलाया जा रहा उपरोक्त ट्वीटर अकाऊंट पाक़िस्तान के गुप्तचर संगठन के द्वारा ही ऑपरेट किया जा रहा होने की जानकारी माध्यमों में प्रकाशित हुई। मैंने पूरी ज़िम्मेदारी से इस संदर्भ में वक्तव्य किये थे, ऐसा कहकर ‘मैं अपने वक्तव्यों पर अटल हूँ’ ऐसा गृहमंत्री ने बताया था। साथ ही, गोपनीयता का भंग न हों, इसलिए मैं इस संदर्भ में जानकारी ज़ाहिर नहीं कर रहा हूँ, यह भी राजनाथ सिंग ने स्पष्ट किया था। ‘जेएनयू’ में चल रहे देशविघातक कारनामों के पीछे पाक़िस्तान का हाथ होने का यह पहला ही वाक़या नहीं है। सन १९९५ में प्रोफ़ेसर बी. जी. चक्रवर्ती ने ‘इस विद्यापीठ में भारतविरोधी कारनामें जारी होकर, यहाँ पर पाक़िस्तानी एजंट्स कार्यरत हैं’ ऐसी शिक़ायत ‘जेएनयू’ के प्रशासन के पास दर्ज़ की थी। इस मामले में उन्होंने ‘जेएनयू’ के रजिस्ट्रार को पत्र भेजा था। 55c5def24aa22इस पत्र में प्रो. चक्रवर्ती ने थर्रा देनेवालीं बातों का ज़िक्र किया है। इस पत्र में, २१ दिसम्बर १९९५ को हुई विद्यापीठ की ‘अकॅडमिक कौन्सिल’ की बैठक में, इस मामले में हुई चर्चा का संदर्भ दिया गया है। इस बैठक में जब चक्रवर्ती ने ‘जेएनयू’ में पाक़िस्तान के एजंट के ज़रिये देशविरोधी कारनामें शुरू रहने का मुद्दा उपस्थित किया, तब विद्यापीठ के उपकुलगुरु ने, इस संदर्भ में रजिस्ट्रार के पास लिखित रूप में शिक़ायत दर्ज़ करने का मशवरा दिया था। ‘जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग करके भारत का एक और बँटवारा करने के षड्यंत्र पर काम चालू है। इसके लिए ‘जेएनयू’ का इस्तेमाल कर ज़हरीला प्रचार शुरू किया जा रहा है और इसमें पाक़िस्तान से आये हुए आतंकवादी भी शामिल हुए हैं। ये आतंकवादी ‘अरवली’ तथा ‘गोमती’ इन ‘जेएनयू’ के वसतिगृहों में ‘मेहमान’ बनकर निवास कर रहे हैं। १५ नवम्बर को आयोजित किये गए कार्यक्रम में ये आतंकवादी सहभागी हुए थे। उनके पास हथियार भी थे’ ऐसी जानकारी प्रो. चक्रवर्ती ने इस पत्र में दी है। ‘जेएनयू’ के कॅम्पस में भारतविरोधी प्रचार के पोस्टर्स लगाये गये होकर, उनके पीछे पाक़िस्तान से आये ये आतंकवादी हैं। इस पोस्टर में, कश्मीर में से भारतीय सेना हटाने की आक्रमक माँग की गयी है। उसीके साथ, पाक़िस्तान के ये एजंट, ‘मोहम्मद अली जीना’ का द्विराष्ट्रवाद का सिद्धांत ज़ोर-शोर से प्रस्तुत कर रहे हैं। इसीलिए उसकी सारी जानकारी गुप्तचरविभाग को देनी चाहिए’ ऐसी विनति प्रोफ़ेसर चक्रवर्ती ने इस पत्र में की थी।