हमारा ध्यान स्वस्तिवाक्यम् के जाप में रहना चाहिए (Our Focus must be on chanting Swastivakyam) - Aniruddha Bapu
परमपूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने २२ अक्तूबर २०१५ के पितृवचनम् में ‘हमारा ध्यान स्वस्तिवाक्यम् के जाप में रहना चाहिए’ इस बारे में बताया।
अनिरुद्ध बापू ने कहा- ये जो स्वस्तिवाक्यम् है उसमें हमे ध्यान किस बात पर करना है - उस वाक्य का हमे जप करना है। ओके। जिस समय, समझो कि मूलाधारचक्र का पूजन चल रहा है तो उतने समय तक मूलाधार चक्र की प्रतिमा में रहनेवाले ‘लं’ बीज को देखें। हम कहेंगे ‘ॐ लं’ और बाद में उस वाक्य को मराठी, हिंदी, इंग्लिश और संस्कृत मे या हम हमारी भाषा में ट्रान्सलेट करके कह सकते हैं।
तो उस वाक्य का उच्चारण करेंगे और उच्चारण करते करते उसे देखते रहेंगे। कान से उन मंत्रों को सुनते रहेंगे अपने आप वो मंत्र जाप जो अपना काम है वो करते रहेंगे। इसके साथ साथ हमे जप सिर्फ इस बात का करना है - वो सेन्टेन्स, उस वाक्य का, स्वस्तिवाक्यका। सिर्फ एक एक वाक्य है, पहले मराठी, हिंदवी, इंग्लिश और संस्कृत में। ओके। तो हमे ध्यान करना है चिंतन करना है उस वाक्य का। और उस वाक्य में ऐसी ताकद है, जो वैदिक मंत्र होगे उनमें ऐसी ताकद है, प्रतिमा में इतनी ताकद है की अपनेआप जब हम ये सेन्टेन्स उस प्रतिमा को देख कर जपते रहेंगे तो उससे अपने आप हम पुरे के पुरे ध्यानयोग मे जुड जायेंगे। ध्यान भी होगा ओर योग भी होगा। अपनी सीमाओं से बाहर जाना लेकिन गलत तरिके से नहीं, हम मर्यादापुरुषोत्तम के भक्त हैं। राम के, श्रीराम के भक्त हैं। तो हमें हमारी मर्यादा का पालन करना है - भरपूर बनना है। हर चीजमें। शांति में, क्षमता में, सौख्य में, सेवा में, भक्ति में, गृहस्थी में, परमार्थ में, शौर्य में, सभी चीजोंमें हमें भरपूर बनना है।
उसीके लिए सात चक्रों का ये पूजन हमे देखना है और ध्यान और योग इन दो शब्दों से डरना नहीं, मन में भय नहीं रखना। हमें क्या करना चाहिए? ‘हमारा ध्यान स्वस्तिवाक्यम् के जाप में रहना चाहिए’ इस बारे में हमारे सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥