ऑनलाईन डोनेशन अभी सभी जगह उपलब्ध
इन दिनों श्रीवर्धमान व्रताधिराज चल रहा है। व्रत के दौरान श्रद्धावान तीर्थ स्थलों पर दर्शन / उपासना हेतु जाते हैं। साथ ही साथ सभी उपासना केन्द्रों पर जानेवाले तथा न जा पानेवाले श्रद्धावान गुरुपूर्णिमा अथवा अनिरुद्ध पूर्णिमा के समय तो सद्गुरु के दर्शन के लिए आते ही हैं। वे श्रद्धावान उन उत्सवों के समय तहेदिल से बापूजी को कुछ न कुछ देना चाहते हैं। मगर सद्गुरु बापू तो व्यक्तिगत तौर पर कभी भी किसी से भी कुछ नहीं लेते। बापूजी हमेशा कहते आए हैं कि, जो कोई कुछ भी देना चाहता हो, वह भेंट स्वरूप में संस्था के उपक्रमों के लिए संस्था को दे।
श्रीमद्पुरुषार्थ ग्रंथराज के प्रथम खंड में दान के महत्त्व को समझते हुए बापूजी लिखते हैं,
"सभी युगों में अनन्य है दान की महिमा। कलयुग में दान आसान धर्मसाधन है। आचारधर्म में दान ही सर्वश्रेष्ठ है। सचमुच, दान से श्रेष्ठ कुछ भी नहीं है। खुद ही रक्तदान, नेत्रदान आदि अंगदान करके जीवनदान कीजिए। ज्ञानदान, धनदान, सेवदान कीजिए। जितना सम्भव हो, उतना तो दान कीजिए। श्रीगुरुदत्त नित्यदाता हैं, इसलिए जो दान करता है वह गुरुदत्त का चहिता होता है।"
- श्रीमद्पुरुषार्थ, सत्यप्रवेश, पृष्ठ क्र. २४२
श्रीसाईसच्चरित भी हमें यही समझाता है,
"धनाचा जो करणें संचय | धर्म घडावा हाचि आशय |
परी क्षुल्लक काम आणि विषय | यांतचि अतिशय वेंचे तें |
धनापासाव धर्म घडे | धर्मापासाव ज्ञान जोडे |
स्वार्थ तरी तो परमार्थीं चढे | मना आतुडे समाधान |"
(धन का संचय करना हो तो हमारे हाथों धर्म होना चाहिए, मगर मामूली कार्य और विषयों में ही बहुत कुछ खर्च हो जाता है।
धन से धर्म बनता है, धर्म से ज्ञान जुड़ता है। यह स्वार्थ है मगर यही परमार्थ पर चढ़ता है, इस से मन को सुकून मिलता है। )
- श्रीसाईसच्चरित, अध्याय १४, ओवी क्र. ११३, ११४
इसी हेतु से कई श्रद्धावानों को संस्था के नाम भेंटस्वरूप कुछ राशि भेजने की इच्छा होती है। परन्तु दूर या परदेस में रहनेवाले अथवा जिनके लिए केंद्र पर जाना हमेशा सम्भव नहीं होता, उनके लिए दान कर पाना मुश्किल होता है। इसलिए ऐसे श्रद्धावानों के लिए एक खुशखबरी है कि, श्रीअनिरुद्ध उपासना फाउंडेशन नामक संस्था ने अपने अधिकृत वेबसाइट www.
मुझे कहते हुए हर्ष हो रहा है कि आज संस्था की ओर से जिन ३ बड़े प्रोजेक्टों का कार्य जोर पकड़ने लगा है, वे प्रोजेक्ट हैं :
१) जुईनगर, नवी मुम्बई में स्थापन होनेवाला भारत का सबसे पहला "इंस्टिट्युट ऑफ जेरिआट्रिक्स एण्ड रिसर्च सेंटर"
२) आलंदी के पास स्थापन होनेवाला सबसे पहला "अनिरुद्ध धाम"
३) मेहनतकश व गरीब किसानों के हित के लिए कर्जत-कोथिम्बे के पास गोविद्यापीठाम में चलाया जा रहा "अनिरुद्धाज इंस्टिट्युट ऑफ ग्राम विकास" नामक प्रकल्प
इन महत्वपूर्ण प्रकल्पों के लिए सभी इच्छुक श्रद्धावान "पेमेंट गेटवे" का इस्तेमाल करके अपनी अपनी हैसियत के अनुसार संस्था में भेंटस्वरूप राशि जमा करा सकते हैं। ऑनलाइन डोनेशन की सुविधा हेतु निम्नलिखित प्रक्रिया से "पेमेंट गेटवे" का इस्तेमाल करें।
१) श्रीअनिरुद्ध उपासना फाउंडेशन www.
२) तत्पश्चात स्क्रीन पर दिखनेवाले फॉर्म में जानकारी भरकर ‘Donate Now’ इस बटन पर क्लिक करें। मगर इससे पहले फॉर्म में "Name", "E-mail", "Mobile No." तथा "Donation amount" की जानकारी भरना अनिवार्य है।
३) तत्पश्चात स्क्रीन पर डेबिट कार्ड / क्रेडिट कार्ड की जानकारी भरें। पेमेंट की प्रक्रिया पूरी हो जाने पर संस्था की ओर से आपको सिस्टम द्वारा बननेवाली रसीद भेजी जाएगी।
इसी तरह श्रद्धावानों की सुविधा के लिए संस्था की ओर से "नेट बैंकिंग" की सुविधा भी उपलब्ध की जाएगी।
मुझे विश्वास है कि ज्यादा से ज्यादा श्रद्धावान इस "पेमेंट गेटवे" का लाभ उठाएंगे, और यथाशक्ति दान करेंगे; करते रहेंगे।
"हरि ॐ"
"श्रीराम"
"अंबज्ञ"
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