ॐ कृष्णायै नम: - १ (Om Krishnayai Namah - 1)
सद्गुरु श्री अनिरुद्धजी ने ०३ मार्च २००५ के पितृवचनम् में ‘ॐ कृष्णायै नम: - १ ’ इस बारे में बताया।
हरि: ॐ, ॐ कृष्णायै नम:। भगवान श्रीकृष्ण को अगर कह दें हम ॐ श्रीकृष्णाय नम:, ये कृष्णायै नम:। यानी भगवती राधा का नाम यहाँ कृष्णा है, कृष्ण नहीं कृष्णा। अब ‘कृष्ण’ नाम के कितने अर्थ होते हैं, हम जानते हैं, बहुत अर्थ होते हैं।
एक अर्थ सीधा-सादा है, कृष्ण यानी काला रंग, कृष्णा यानी जो काली है। इसे आगे चलकर होता हैं, जो सबको आकृष्ट करता है, वो कृष्ण है। सभी दिशाओं से आकृष्ट करता है, वह कृष्ण है और ये कृष्णा है। यानी एक अर्थ होता है कि जो कृष्ण के जैसे सबको आकर्षित करती है, सब दिशाओं से आकर्षित करती है और सिर्फ आकर्षित करना यानी ह्युमन तौर पर जैसा आकर्षण होता है वैसे नहीं, नॉट ऍट्रॅक्शन, इज नॉट टू अॅट्रॅक्ट। संस्कृत में आकर्षित करने का अर्थ होता है, खींचकर बाँध लेना। तो कृष्ण कैसा है? जो खींचकर बाँध लेता है।
इसी लिए संतों ने, भागवत धर्म के संतों ने बार-बार कहा है, ये भीमा नदी के तीर पर अगर भाई आप जा रहा हो तो दख्खन से उत्तर में, उत्तर से दख्खन में तो भीमा नदी के तीर पर अगर आप जाओगे, तो बच के रहना। वहाँ एक रहता है, उसके पास कोई शस्त्र नहीं होता। यानी अगर आप उसके सामने जाकर खड़े हो गये, उसकी आँख में आपनी आँखें डाली तो बस, वो आपका सब कुछ हरण कर लेता हैं, लूट लेता है आपको, उसका नाम है विठ्ठल, पांडुरंग। एक बार इसकी आँखों में देखा जिसने, तो बस उसका सब कुछ लुट गया, पूरा का पूरा।
अब कोई कहें कि मैं कृष्ण हूँ, तुम्हारा बँक बॅलन्स दे दो, तुम्हारा घर दे दो, तुम्हारी बीवी दे दो, उसे लाथ मारना, ये ले। विठ्ठल जो श्रीकृष्ण है, वो ऐसे नहीं लूटता। भौतिक चीज़ों कि लूटमारी करने वाला डाकू नहीं हैं वो, ये हमें जानना चाहिये।
तो ये जो कृष्ण है, कृष्णा है वो ऐसे कृष्ण को आकर्षित करने वाली। कृष्ण कौन है? जो सभी को सब दिशाओं से आकर्षित करके खींचकर बाँध रखता है अपने पास और ऐसे कृष्ण को बाँध रखने वाली ये कृष्णा है, कृष्णा है। यानी उसे भी अपनी मुट्ठी में रखने वाली।
‘ॐ कृष्णायै नम:’ इस बारे में हमारे सद्गुरु श्री अनिरुद्ध ने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।
|| हरि: ॐ || ||श्रीराम || || अंबज्ञ ||
॥ नाथसंविध् ॥