सर्व श्रद्धावानांसाठी 'श्रीमद्‌पुरुषार्थ ग्रंथराज - प्रेमप्रवास' संबंधी महत्वाची सूचना

सर्व श्रद्धावानांसाठी 'श्रीमद्‌पुरुषार्थ ग्रंथराज - प्रेमप्रवास' संबंधी महत्वाची सूचना

 

सर्व श्रद्धावानांसाठी 'श्रीमद्‌पुरुषार्थ ग्रंथराज - प्रेमप्रवास' संबंधी महत्वाची सूचना

हरि ॐ,

संदर्भ - भावशारीरि गुण - पान क्रमांक ६८ ते पान क्रमांक ९० आणि पान क्रमांक २०८ ते पान क्रमांक २१०.

सद्‌गुरु श्रीअनिरुद्धांनी सांगितल्यानुसार वर नमूद केलेली पाने अभ्यासासाठी आवश्यक नाहीत.

महर्षी चरक व सुश्रुत ह्यांनी वर्णिलेले आयुर्वेदातील ’गुर्वादि गुण’ व येथे वर्णिलेले ’भावशारीरि गुण’ यांमध्ये थोडेफार साम्य आढळले तरी येथे दृष्टिकोन व कार्यकारण भाव पूर्णपणे भिन्न रीत्या प्रतिपादित केला आहे.

ज्या श्रद्धावानांना भावशारीरि गुणांबद्दल अधिक जाणून घ्यावयाचे आहे, त्यांनी ह्या पानांचे वाचन करावे. इतर श्रद्धावानांनी ह्या पानांचे वाचन केले नाही तरी चालेल.

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सभी श्रद्धावानों के लिए 'श्रीमद्‌पुरुषार्थ ग्रंथराज - प्रेमप्रवास' के संदर्भ में महत्त्वपूर्ण सूचना

हरि ॐ,

संदर्भ - भावशारीरि गुण - पृष्ठ क्रमांक ७० से पृष्ठ क्रमांक ९२ तक और पृष्ठ क्रमांक २१६ से पृष्ठ क्रमांक २१८ तक.

सद्‌गुरु श्रीअनिरुद्ध द्वारा बताये गये अनुसार, उपरोक्त पन्नें अध्ययन के लिए आवश्यक नहीं हैं।

महर्षि चरक और सुश्रुत के द्वारा वर्णित आयुर्वेदीय ‘गुर्वादि गुण’ और यहाँ पर वर्णित ‘भावशारीरि गुण’ इनमें थोड़ी बहुत समानता दिखायी देने पर भी यहाँ पर दृष्टिकोण और कार्यकारण भाव पूर्णत: भिन्न रूप से प्रतिपादित किया है।

जो श्रद्धावान भावशारीरि गुणों के संदर्भ में अधिक जानना चाहते हैं, वे इन पृष्ठों को पढ़ें। अन्य श्रद्धावान इन पृष्ठों को न पढ़ें तो भी चलेगा।

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Important Notice for all Shraddhavans regarding ShreeMadpurushārtha Grantharāj - Prempravās (Walking in the Divine Love)

Hari Om,

Reference - Bhāvashāriri Guṇās - Page No. 78 to Page No. 102 and Page No. 253 to Page No. 255.

As instructed by Sadguru Shree Aniruddha, the pages mentioned above are not necessary for study. 

Although you may find similarities between the Guru Guṇa as well other Guṇas described in the Ayurveda by Maharshi Charak and Maharshi Sushruṭ, and the ‘Bhāvashāriri Guṇas' mentioned herein, their perspective, as also their cause and effect have been put forth in a different manner. 

Shraddhavans who wish to know more about ‘Bhāvashāriri Guṇas’ may read these pages. Others may skip reading them.

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