परमपूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने २८ एप्रिल २०१६ के पितृवचनम् में ‘निसर्ग को कोई भी हरा नहीं सकता', इस बारे में बताया।

जब हम जमीन पर चलते हैं, वो क्या है? तो संघर्ष है। एक तो हम मानव हैं, प्राणि के जैसे चार पै्रों पर नहीं चलते, means against the gravity। गुरुत्वाकर्षण के फोर्स के विरुद्ध में हम खडे हैं और चलते हैं। यानी हम किसके साथ संघर्ष करते है? गुरुत्वाकर्षण शक्ति के साथ संघर्ष करते है, लेकिन जो हम कदम रखते है आगे, या खडे है, वो स्थिर क्यो है? गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण ही। Gravitational force के कारण ही।
हम लोग देखते है अंतरिक्ष में, लोग कैसे होते है? उनके पैर जमीन पर नही होते, तो तरंगते रहते है। यानी एक ही गुरुत्वाकर्षण की शक्ति, उसके खिलाफ हम लोग संघर्ष कर रहे है, और उसके साथ भी हम लोग संघर्ष करते है। उसके खिलाफ संघर्ष कर रहे है, और उसके साथ संघर्ष कर रहे है, आगे जाने के लिये। हम जमीन के साथ संघर्ष कर रहे है।
जमीन का ये विरोध नहीं होता, देखिये, जहा स्लिपरी लँड होता है, रेनी सिझन में, बरसात के दिनों में, या जिनके घर में जहा साबुन से जमीन धोयी हुई होती है, वहां क्या हो जाता है? हमारा पैर आसानी से फिसल जाता है। ये जो विरोध है, जमीन से हमारी तरफ आनेवाला, वो जब, कम हो जाता है, मर्यादा से कम हो जाता है, तो क्या होता है, हम स्टेडी नहीं रह सकते। हमारा कदम स्थिर नहीं हो सकता। और जब ये ही विरोध जो है, जमीन से जो आता है, वो ज्यादा बढ जाता है तो !
मै गुरुत्वाकर्षण की बात नहीं कर रहा हुँ, मै, घर्षण की बात कर रहा हुँ। वो ज्यादा हुआ याने क्या? जगह जगह देखो, छोटे छोटे पत्थर बाहर आये हुए है, रास्ता बहुत गरम है, दोपहर के बारा बजे है, एक बजे है, दो बजे है और आपके पैर में चप्पल नही है, शूज नही है, सॉक्स नही है, तो क्या होगा? ये घर्षण, ये चूल्हा बन जाएगा। पैर में क्या होगा? जख्म होने लगेगी। You will get injured और चलने के लिये भी दिक्कत पडेगी।
जिस आसानी से, जिस स्पीड के साथ, जिस वेग के साथ, हम लोग smooth जमीन पर चलते है, वैसे हम ऐसे काटे वाली जमीन पर नही चल सकेंगे। यानी हमें जानना चाहिये, कोई शक्ति जो है, गुरुत्वाकर्षण फोर्स हो या, इलेक्ट्रीसिटि हो, या इलेक्ट्रोमॅग्नेटीक फोर्स हो, या मॅग्नेटीक फोर्स हो, या हमारे मन की शक्ति और हमारे मन के विचार की शक्ति, ये सिर्फ बुरी या सिर्फ अच्छी नहीं हो सकती। ये हम पर निर्भर है कि हम इसका इस्तमाल कैसे करते है, किस रिती से करते है।
गुरुत्वाकर्षण की शक्ति, उसके आधार से हम लोग चल सकते है, और उसके खिलाफ जाकर भी चल सकते है। उसके खिलाफ जाकर कैसे? अगर हम सोचें कि इस पृथ्वी पर हमे चलना है, लेकिन ये जमीन मेरे पैर पर नहीं लगनी चाहिये, is it possible? निसर्ग के विरोध में जाकर हम लोग कुछ नहीं कर सकते। जो ऋत है, जो सत्य है, उसके खिलाफ जाकर हम लोग कुछ भी नही कर सकते।
‘निसर्ग को कोई भी हरा नहीं सकता' इस बारे में हमारे सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।