अफगानिस्तान के तालिबान हुकूमत से जुडी ख़बरें
सिस्तान-बलोचिस्तान की सीमा पर ईरान की सेना की तालिबान से मुठभेड़
तेहरान/काबुल – ईरान के रिव्होल्युशनरी गार्ड्स के जवान और अफगानिस्तान स्थित तालिबान के आतंकवादियों के बीच बुधवार को मुठभेड़ हुई। सिस्तान-बलोचिस्तान की सीमा पर हुई इस मुठभेड़ में तालिबान के आतंकवादी मारे जाने की तथा तालिबान ने ईरान की लष्करी चौकियों पर कब्ज़ा करने की खबरें प्रकाशित हुईं थीं। उसकी पुष्टि नहीं हुई है । लेकिन यह मुठभेड़ गलतफ़हमी में से हुई होने का ऐलान ईरान ने किया है।
अफगानिस्तान के निमरूझ प्रांत के कांग ज़िले की सीमा पर यह मुठभेड़ हुई। ईरान के सिस्तान-बलोचिस्तान प्रांत के शघालक की सीमा के पास ईरान ने सुरक्षा दीवार का निर्माण किया है। ईरान की सीमा में यह दीवार होकर, उससे भी परे ईरान की सीमा है। अफगानिस्तान से होनेवाली तस्करी को रोकने के लिए ईरान की सुरक्षा यंत्रणाओं ने इस दीवार का निर्माण किया था। बुधवार को स्थानीय ईरानी किसान इस दीवार के पार जाने के बाद, सीमा के पार होनेवाले तालिबान के आतंकवादियों ने उनकी दिशा में गोलीबारी की।
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अमरीका की सुरक्षा की परवाह हो तो तालिबान को स्विकृति देने की कोशिश बायडेन प्रशासन नाकाम करे – अमरिकी विश्लेषक मायकल रुबिन
वॉशिंग्टन – ‘अफ़गान जनता, आतंकवाद विरोधी संघर्ष और अमरीका की सुरक्षा की यदि वास्तव में परवाह हो तो राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन तालिबान को स्वीकृति देने के लिए संयुक्त राष्ट्रसंघ में जारी कोशिशों को रोक दें, तथा नॉर्दन अलायन्स को समर्थन घोषित करें’, इस बयान द्वारा अमरिकी विश्लेषक मायकल रुबिन ने इशारा दिया है|
‘अमरिकन एंटरप्राईज़ इन्स्टीट्यूट-एईआई’ नामक अध्ययन मंड़ल के विश्लेषक मायकल रुबिन ने अमरिकी अखबार में लिखे लेख में बायडेन प्रशासन की अफ़गानिस्तान से संबंधित भूमिका की आलोचना की| अफ़गानिस्तान से अमरिकी सेना की वापसी के तीन महीने पूरे हुए हैं| लेकिन, अभी तक अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन और उनका प्रशासन अफ़गानिस्तान की मौजूदा स्थिति के लिए इस देश के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष अश्रफ गनी को दोषी ठहरा रहे हैं, ऐसी आलोचना रुबिन ने की|
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तालिबान ने अफ़गानिस्तान के १०० से अधिक पूर्व सैनिकों की हत्या की – अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार संगठन का आरोप
काबुल – हमारी हुकूमत में सबकुछ ठीकठाक होने का दावा करने वाले तालिबान का क्रूर चेहरा फिर एक बार विश्व को दिखाई दिया है| अफ़गानिस्तान पर कब्ज़ा करने के बाद तालिबानी आतंकियों ने अफ़गानिस्तान के १०० से अधिक पूर्व सैनिकों की हत्या की है या फिर उन्हें अगवा किया है| यह आरोप लगाकर तालिबान की हुकूमत में कोई भी सुरक्षित ना होने का दावा अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार संगठन ने किया| साथ ही तालिबानी आतंकियों ने अफ़गानिस्तान के छह प्रांतों में हज़ारा और उज़बेक अल्पसंख्यांकों को उनके अपने घरों से बाहर निकालकर उनके घरों पर कब्ज़ा करने की जानकारी सामने आ रही है|
मानव अधिकार संगठनभूतपूर्व सरकार में पुलिस या सेना में कार्यरत सैनिक तालिबान की सुरक्षा प्रणाली का हिस्सा बनें, यह ऐलान तालिबान के नेताओं ने कुछ हफ्ते पहले ही किया था| इन पूर्व सैनिकों की जान को खतरा नहीं है, उन्हें दुबारा काम पर दाखिल किया जाएगा, यह वादा तालिबानी नेता ने किया था| लेकिन, तालिबान के आतंकी बिल्कुल इसके विपरीत कर रहे हैं, यह आरोप मानव अधिकार संगठन ने अपनी इस नई रपट में लगाया है|
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तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्ज़ा करने के बाद पाकिस्तान में २७ बड़े आतंकवादी हमले
पेशावर – अफगानिस्तान में तालिबान की हुकूमत स्थापित होने के बाद पाकिस्तान ने जल्लोष किया था। लेकिन अब इसकी जबरदस्त क़ीमत पाकिस्तान को चुकानी पड़ रही है। पिछले तीन महीनों में पाकिस्तान में २७ बड़े आतंकवादी हमले हुए होकर, उनमें ५८ लोगों की जानें चली गई है। इनमें पाकिस्तानी सुरक्षा यंत्रणा के जवानों का समावेश है। अफगानिस्तान की सीमा पर तैनात पाकिस्तानी जवानों पर होनेवाले हमलों में भी बढ़ोतरी हुई है। शनिवार को अफगान सीमा के पास हुए हमले में दो पाकिस्तानी जवान मारे गए।
पाकिस्तान के खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत के दाता खेल इलाके में अफगान सीमा के पास होनेवाली चौकी पर तैनात पाकिस्तानी जवानों पर शनिवार को गोलीबारी हुई। पाकिस्तानी लष्कर ने दी जानकारी के अनुसार, आतंकवादियों ने किए इस हमले में दो जवान मारे गए। अभी तक किसी भी आतंकवादी संगठन ने इस हमले की ज़िम्मेदारी का स्वीकार नहीं किया है।
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तालिबान की हुकूमत में २० लाख अफगानी लड़कियां शिक्षा से वंचित – युनिसेफ की रिपोर्ट
काबुल – तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा करने के १०० दिन पूरे हो गए हैं। लेकिन तालिबान की हुकूमत में अफगानी लड़कियां और महिलाओं के भविष्य में इससे अंधेरा छाया है। अफगानिस्तान में २० लाख से अधिक लड़कियाँ शिक्षा से वंचित होने की जानकारी संयुक्त राष्ट्र संगठन के ‘युनिसेफ’ ने दी। तालिबान ने काबुल पर कब्जा करने के बाद कई छात्र परीक्षा में बैठे ही नहीं है, ऐसी जानकारी युनिसेफ की रिपोर्ट में दी गई है।
अफगानिस्तान अगर तालिबान के कब्जे में गया, तो अफगानी लड़कियाँ और महिलाओं की आज़ादी छीन ली जाएगी, ऐसी चेतावनी दुनिया भर के विश्लेषकों ने दी थी। लेकिन अब तालिबान २० साल पहले का नहीं रहा है, यह बताकर पाकिस्तान ने इस आतंकवादी संगठन की दुनिया भर में वकालत की थी। अफगानिस्तान पर तालिबान की हुकूमत को ३ महीने से अधिक समय बिता होकर, इस आतंकवादी संगठन के संदर्भ में किए गए सारे दावे हवा हुए होने का एहसास अन्तर्राष्ट्रीय विश्लेषक करा दे रहे हैं।
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