To be safe from sin and unrighteousness one must surrender at the feet of Radhe-Krishna: Aniruddha Bapu
In this Hindi discourse (dated 6th October 2005), Sadguru Aniruddha explains why one should surrender at the feet of Radhe-Krishna, the Parmatma. Importantly, Bapu has very clearly elucidated the difference between surrendering at the feet of the Almighty and surrendering before a person at war. In the end, with the help of shlok “Sarva-dharman parityajya mam ekam saranam vraja”, Bapu tells us the benefits of surrendering before God.
इस हिंदी प्रवचन (दिनांक ६ अक्तूबर २००५) में, सद्गुरु अनिरुद्ध बताते हैं कि हमें राधा-कृष्ण यानी परमात्मा के चरणों में समर्पण क्यों करना चाहिए। यहाँ महत्वपूर्ण बात यह है कि बापू ने, भगवान के चरणों में समर्पण करना और युद्ध में या किसी व्यक्ति के सामने आत्मसमर्पण करना, इनके बीच के अंतर को विस्तृत रूप से स्पष्ट किया है। अंत में, “सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज”, इस श्लोक की मदद से, बापू हमें भगवान के चरणों मे समर्पण करने के लाभ भी बताते हैं।
|| हरि: ॐ || ||श्रीराम || || अंबज्ञ ||
॥ नाथसंविध् ॥