मॉं दुर्गा! करुणा का विस्तार करो (Mother Durga! Expand Your Compassion) ‘दुर्गे दुर्घट भारी तुजवीण संसारी, अनाथनाथे अंबे करुणा विस्तारी’ इस मॉं दुर्गाकी आरती में माता दुर्गा पर सर्वप्रथम विश्वास प्रकट करके फिर दुर्गामाता(मॉं दुर्गा) से प्रार्थना की है कि हे मॉं, मैं जहां भी हूं वहां तक तुम अपनी करुणा का विस्तार करो; मैं अक्षम हूं परंतु तुम अपनी करुणा का विस्तार करने में संपूर्ण समर्थ हो। श्री आदिशंकराचार्यजी ने भी कहा है कि पुत्र कुपुत्र हो सकता है पर माता कभी भी कुमाता नहीं हो सकती। हे मॉं दुर्गा! करुणा का विस्तार करो, इस पंक्ति के बारे में परमपूज्य सद्गुरू श्री अनिरुद्ध बापूनें अपने ०१ जनवरी २०१५ के प्रवचन में बताया, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैंl
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥