अंतरिक्ष और विज्ञान से जुडी रोचक खबरें
लर्कर्स परग्रहवासी पृथ्वी पर नजर रखकर है – शोधकर्ता बेनफोर्ड का दावा
वॉशिंगटन – ‘‘लर्कर्स’ परग्रहवासी अंतरिक्ष से पृथ्वीपर नजर रखकर है’, यह इशारा नामांकित शोधकर्ता जेम्स बेनफोर्ड ने दिया है| ‘द एस्ट्रॉनॉमिकल जर्नल’ में प्रसिद्ध हुए अपने प्रबंध के जरिए बेनफोर्ड ने यह सनसनीखेज दावा किया| ‘पृथ्वी से करीब होनेवाले उल्का एवं लघुग्रहों का इस्तेमाल अपने ठिकाने के तौर पर करके यह ‘लर्कर्स’ पृथ्वी पर काफी बारीकी से नजर रख रहे होंगे| पिछले लाखों वर्षों से लर्कस यह काम कर रहे है, ऐसा बेनफोर्ड का कहना है|
परग्रहवासियों के अस्तित्व के सबुत अभी सामने नही आए है, फिर भी उनके अस्तित्व से इन्कार करना मुमकिन नही होगा, ऐसा शोधकर्ता बडे विश्वास के साथ कह रहे है| सिर्फ पृथ्वी पर ही जीवसृष्टी नही है| अंतरिक्ष में अन्य ग्रहों पर भी जीवसृष्टी एवं मनुष्य जैसे जीव मौजूद है| इनमें से कुछ प्रजाती पृथ्वी पर मौजूद मानव से भी कई गुना अधिक प्रगत है और उनके पास काफी प्रगत तकनीक होने का दावा इससे पहले भी कई शोधकर्ताओं ने किया था| वर्ष १९६० के बीच रोनाल्ड ब्रेसवेल ने यह बात अधिक ब्यौरे के साथ रखी थी| इस पर कुछ शोधकर्ताओं ने समय समय पर समर्थन भी किया था|
आगे पढे : http://www.newscast-pratyaksha.com/hindi/lurkers-observant-on-earth/युद्ध में कौन जिएगा यह आगे से ‘एआई’ से तय होगा – अमरिकी लष्करी अधिकारी का बयान
वॉशिंगटन – भविष्य के युद्ध में कोई सैनिक जख्मी हुआ तो उसकी जान बचाने की जिम्मेदारी लष्करी अड्डे पर मौजुद डॉक्टर से भी अधिक ‘आर्टिफिशल इंटेलिजन्स’ (एआई) पर रहेगी| इस जख्मी सैनिक की जान बचानी है या उसकी मृत्यू होने देनी है, यह ‘एआई’ के निर्णय पर तय होगा| अमरिकी सेना के वरिष्ठ अफसर ने एक समाचार चैनल से बोलते समय यह जानकारी दी|
अमरिका के ‘आर्मी इन्स्टिट्यूट ऑफ सर्जिकल रिसर्च’ इस वैद्यकिय विभाग के प्रमुख ‘जेरमी बुलर’ ने सेना की सेवा में ‘एआई’ तकनकी अहम भूमिका संभालेगी, यह कहा| सेना के वैद्यकीय क्षेत्र में डॉक्टर्स को जख्मी सैनिक पर उपचार करते समय कुछ निर्णय शीघ्रता से करने होते है| ऐसे समय पर ‘एआई’ पर आदारित तकनीक का इस्तेमाल अच्छी तरह से हो सकता है, ऐसा बुलर ने कहा है| लेकिन, साथ ही जिस समय इस ‘एआई’ से जानलेवा निर्णय भी हो सकते है, यह इशारा बुलर ने दिया|
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‘आर्टिफिशल इंटेलिजन्स’ के जरिए ‘सोशल मीडिया’ में गडबडी करना मुमकिन – एलॉन मस्क की चेतावनी
वॉशिंग्टन: ‘आर्टिफिशल इंटेलिजन्स’ का इस्तेमाल कर रहे इंटरनेट बॉटस् बडी तादाद में तैनात करके इनकी सहायता से सोशल मीडिया नेतवर्क्स में गडबडी करना मुमकिन है| इस तरह के बॉटस् पर बारीकी से नजर रखना जरूरी है| यदि वह अपने पाप लगातार अंदरुनी बदलाव करते है तो कुछ तो गलत होने की संभावना है| सोशल मीडिया में कुछ तो गलत करने के लिए ‘आर्टिफिशल इंटेलिजन्स’ पर आधारित बॉटस् का इस्तेमाल होता नही है तो वह जल्द ही शुरू होगा, यह तय है’, इन शब्दों में दुनिया के प्रमुख उद्यमी एलॉन मस्क ने ‘आर्टिफिशल इंटेलिजन्स’ का सोशल मीडिया में हो रहे इस्तेमाल को लेकर कडी चेतावनी दी है|
एलॉन मस्क ने पिछले कुछ वर्षों में लगातार ‘आर्टिफिशल इंटेलिजन्स’ के मुद्दे पर गंभीर इशारें देना शुरू किया है| दो वर्ष पहले दुबई में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय परिषद में मस्क ने पहली बार ‘आर्टिफिशल इंटेलिजन्स’ क्षेत्र को सीधे लक्ष्य किया था| इस तकनीक का बढता वापर दुनिया के लिए गंभीर खतरा होगा, यह दावा उन्होंने किया था| यह तकनीक एक ही समय पर अच्छी या बुरी दोनों हो सकती है और यह बात इस तकनीक का इस्तेमाल कनरेवालों पर निर्भर होगी, ऐसा मस्क ने कहा था| साथ ही दुनिया के नामांकित वैज्ञानिकों ने ‘आर्टिफिशल इंटेलिजन्स’ के विकास की ओर ठिक से ध्यान रखना होगा, यह निवेदन भी उन्होंने किया था|
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दिमाग से संदेश स्वीकारनेवाले ‘माईंड रिडिंग रिस्टबैंड’ तैयार करनेवाली ‘कंट्रोल लैब्स’ स्टार्टपर पर फेसबुक ने किया कब्जा
कैलिफोर्निया – मनुष्य के दिमाग से हाथ तक पहुंचाए जा रहे संदेश पकडकर अगला काम करनेवाला ‘माईंड रिडिंग रिस्टबैंड’ का निर्माण करनेवाले स्टार्टअप पर ‘फेसबुक’ ने कब्जा किया है| ‘कंट्रोल लैब्ज’ ऐसा इस स्टार्टअप का नाम है और यह व्यवहार करीबन १ अरब डॉलर्स का होगा, यह दावा अमरिकी माध्यमों ने किया| इस स्टार्टअप के जरिए से फेसबुक इसके आगे ‘वर्च्युअल रिएलिटी’ और ‘ब्रेन कम्प्युटर इंटरफेस’ क्षेत्र में अपना प्रभाव बढाने की कोशिश करेगी, यह दावा विशेषज्ञ कर रहे है|
फेसबुक ने कुछ वर्ष पहले आईटी क्षेत्र की प्रगत तकनीक हासिल करके इसी पर निर्भर क्षेत्रपर हुकूमत करने के उद्देश्य से ‘रिएलिटी लैब्ज’ इस उपक्रम का गठन किया था| लेकिन, इसे खास सफलता प्राप्त नही हुई| इस वजह से तकनीकी क्षेत्र की ‘स्टार्टअप्स’ कंपनी के साथ जुडकर इसके जरिए वर्चस्व स्थापित करने की कोशिश फेसबुक ने शुरू की है| इसी के जरिए फेसबुक ने तीन महीनों पहले ‘लिब्रा’ इस क्रिप्टोकरन्सी का भी ऐलान किया था|
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