इन्द्र-शक्ति (Indra-Shakti) - Aniruddha Bapu
सद्गुरु श्री अनिरुद्ध ने ६ मार्च २०१४ के पितृवचनम् में ‘ इन्द्र-शक्ति ’ के बारे में बताया।
नीचे से गंदा पानी ऊपर लेके जाना, ऊपर रख देना, ऊपर रखते हुए भी नीचे फेंक देना, नीचे दे देना, वो भी without any charge. ये एक ही साथ तीन पैर चलनेवाला, तीन कदम चलनेवाला, ये त्रिविक्रम है और ये जल की शक्ति सारी उसी की है। और उसका जो मंत्र है, ‘त्रातारं इन्द्रं अवितारं इन्द्रं हवे हवे सुहवं शूरं इन्द्रम्। ह्वयामि शक्रं पुरुहूतं इन्द्रं स्वस्ति न: मघवा धातु इन्द्रः॥’
इसका मतलब क्या है? त्रातारं इन्द्रं यानी जो रक्षण करता है। इन्द्र याने इन्द्र-शक्ति। त्रिविक्रम की शक्ति को ही इन्द्र-शक्ति कहते हैं। इन्द्र-शक्ति क्या चीज होती है? हमने देखा है ,जो एक बीज है, आपने बोया जमीन में तो उससे जो अंकुर निकलता है, वो अंकुर कितना कोमल होता है, बहुत ही कोमल होता है। फिर भी वो छोटासा कोमल, तंतुमय होनेवाला bud जो है, जमीन को चिरकर बाहर आता है।
आप जमीन में एक होल करने के लिये ट्राय किजिये, कुछ काडी या आपको फोर्स इस्तेमाल करना पडेगा। ये कोमल है, इसमें क्या फोर्स है? है। उस छोटे से कोमल तंतुमय अंकुर को जमीन चीरकर बाहर आनेवाली जो ताकद है, वो त्रिविक्रम की ताकद है। वही इन्द्रशक्ति है। यानी जो हो नहीं सकता, जो होना एक इन्सान के बल पर या निसर्ग के बल पर आसान नही है वो करने की ताकद इन्द्र-शक्ति है और ये किसकी ताकद है, त्रिविक्रम की ताकद है।
इन्द्र-शक्ति के बारे में हमारे सद्गुरु श्री अनिरुद्ध ने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥