भारतीय अर्थव्यवस्था से जुडी खबरें

केंद्र सरकार ने बढ़ाया खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य

भारतीय अर्थव्यवस्थानई दिल्ली – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से संबंधित अहम निर्णय हुआ है। खरीफ मौसम के लगभग सभी फसलों की ‘एमएसपी’ बढ़ाने का निर्णय हुआ है। खास तौर पर दाल एवं तेल बीज की ‘एमएसपी’ में बड़ी बढ़ोतरी की गई है।

वर्ष २०२१-२२ के खरीफ मौसम की फसलों का किसानों को उचित दाम प्राप्त हो सके इस उद्देश्‍य से ‘एमएसपी’ तय की गई है। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में ‘एमएसपी’ में बढ़ोतरी करने को मंजूरी प्रदान हुई है। इस दौरान तिल के ‘एमएसपी’ में सबसे अधिक प्रति क्विंटल ४५२ रुपये बढ़ोतरी करके इसकी ‘एमएसपी’ ७,३०७ तय की गई है। इसके बाद तूअर दाल और उड़द दाल की ‘एमएसपी’ में अधिक बढ़ोतरी की गई है। इन दोनों दालों की ‘एमएसपी’ में ३०० रुपयों की बढ़ोतरी करके ६,३०० की गई है। मूंग दाल की ‘एमएसपी’ ७९ रुपयों से बढ़ाकर प्रति क्विंटल ७,२७५ तय की गई है।
‘एफपीआय’ द्वारा शेअर बाज़ार में ४ दिनों में ८ हज़ार करोड़ का निवेश

भारतीय अर्थव्यवस्थानई दिल्ली – भारत में कोरोना के नए मामलों की संख्या तेज़ी से कम हो रही है और उद्योगों के कारोबार में बढ़ोतरी हुई है। इसके साथ ही विदेशी निवेशकों ने भारतीय पूंजी बाज़ार में अपना निवेश बढ़ाने का चित्र दिखाई दे रहा है। भारतीय शेअर बाज़ार में जून महीने के पहले चार दिनों के दौरान ‘फॉरेन पोर्टफोलिओ इनवेस्टर्स’ (एफपीआय) यानी विदेशी संस्थागत निवेशकों ने ८ हज़ार करोड़ रुपयों का निवेश किया है। साथ ही मौजूदा आर्थिक वर्ष के पहले तीन महीनों में ‘एफपीआय’ ने अब तक भारतीय शेअर बाज़ार में ५५,७४१ करोड़ से अधिक रुपयों का निवेश करने की जानकारी प्राप्त हो रही है।

कोरोना के संकट के बावजूद विदेशी निवेशक भारतीय बाज़ार पर लगातार भरोसा दिखा रहे हैं। इस वर्ष विश्‍व में सबसे अधिक गति से विकास करनेवाली अर्थव्यवस्था के तौर पर भारत की ओर देखा जा रहा है। भारत का विकास दर चीन से कहीं अधिक होगा, यह अनुमान जताया जा रहा है। भारत की अर्थव्यवस्था का विकास दर १२ प्रतिशत से अधिक होगा, यह अनुमान अंतरराष्ट्रीय पतमानांकन संस्थाओं ने पहले ही व्यक्त किया था। लेकिन, कोरोना की दूसरी लहर के बाद इस अनुमान में सुधार करके यह विकास दर १० से ११ प्रतिशत होगा, यह कहा गया था। फिर भी भारतीय अर्थव्यवस्था दो आँकड़ों का विकास दर प्राप्त करने में सफल होगी, ऐसा विशेषज्ञों का कहना है।

कोरोना के दूसरी लहर का कृषि क्षेत्र पर असर नहीं – नीति आयोग का दावा
भारतीय अर्थव्यवस्थानई दिल्ली – कोरोना के दूसरी लहर का कृषि क्षेत्र एवं इससे जुड़े किसी भी क्षेत्र का असर दिखाई नहीं देगा, यह बात नीति आयोग ने स्पष्ट की है। इस वजह से कृषि क्षेत्र का विकास दर इस वर्ष भी तीन प्रतिशत से अधिक होगा, यह विश्‍वास नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने व्यक्त किया है। बीते वर्ष भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास दर मायनस सात प्रतिशत रहा था, तब भी भारतीय कृषि क्षेत्र का विकास दर ३.६ प्रतिशत दर्ज़ हुआ था। इस वर्ष भी यही चित्र दिखाई देगा। इस वजह से ग्रामिण क्षेत्र के आय पर और वहां की माँग पर ज्यादा असर महसूस नहीं होगा, यह दावा चंद ने किया है।
कृषि क्षेत्र से संबंधित सबसिडी, मूल्य और तकनीक संबंधित भारत सरकार की मौजूदा नीति चावल, गेंहू और शक्कर जैसे कृषि उत्पादकों के लिए सहायक है। अब दाल के लिए भी ऐसी ही प्रोत्साहन देनेवाली नीति अपनाने पर जोर दिया जा रहा है। दाल की खरीद और न्यूनतम मूल्य से संबंधित नीति में अधिक सुधार की आवश्‍यकता की बात नीति आयोग के (कृषि) सदस्य रमेश चंद ने स्पष्ट की। साथ ही इस वर्ष कोरोना के दूसरी लहर का असर कृषि क्षेत्र पर होने की चिंता उन्होंने ठुकराई।
लगातार आठवें महीने में ‘जीएसटी’ संग्रह एक लाख करोड़ से भी अधिक
भारतीय अर्थव्यवस्थानई दिल्ली – कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देश के कई इलाकों में कर्फ्यू होने के बावजूद, मई महीने में एक लाख करोड़ रुपयों से अधिक ‘जीएसटी’ संग्रह हुआ है। साथ ही, बीते वर्ष के मई महीने की तुलना में मौजूदा वर्ष के मई महीने में ‘जीएसटी’ संग्रह में ६५ प्रतिशत बढ़ोतरी दर्ज़ हुई है। कोरोना संक्रमण का भारत के आर्थिक कारोबार पर असर हुआ है, फिर भी भारतीय अर्थव्यवस्था मज़बूत स्थिति में होने का बयान विशेषज्ञ लगातार कर रहे हैं। देश के बड़े शहरों में लॉकडाउन जैसें प्रतिबंध होने के बावजूद, एक लाख करोड़ रुपयों से भी अधिक ‘जीएसटी’ संग्रह होना यही दिखाता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अगले दौर में भी तेज़ गति से प्रगति करती रहेगी, ऐसा विश्‍लेषकों का कहना है।

भारत में कोरोना की दूसरी लहर चोटी पर पहुँचने के बाद, अब धीरे धीरे कुछ हिस्सों में स्थिति में सुधार हुआ है। साथ ही, संक्रमितों की संख्या में भी बड़ी गिरावट हुई है। महीने पहले ३७ लाख तक पहुँची एक्टिव्ह संक्रमितों की संख्या कम होकर १५ लाख हुई है। शनिवार की सुबह तक के चौबीस घंटों में देश में कोरोना के १.२० लाख नए मामलें सामने आए। बीते ५८ दिनों में इन मामलों की यह सबसे कम संख्या है। अब देश के ३०० से अधिक ज़िलों में पॉझिटिव्ह रेट ५ प्रतिशत से कम हुआ है।

आगे पढे: http://www.newscast-pratyaksha.com/hindi/gst-revenues-cross-1-lakh-crore-in-may-2021-8th-month-in-a-row/ भारत का विदेशी मुद्रा भंड़ार ६०० अरब डॉलर्स पर

भारतीय अर्थव्यवस्थामुंबई – वर्ष १९९१ में देश का विदेशी मुद्रा भंड़ार ६ अरब डॉलर्स से भी कम होने से, भारत को अपना सोना गिरवी रखना पड़ा था। इसके करीबन ३० वर्ष बाद भारत का विदेशी मुद्रा भंड़ार ६०० अरब डॉलर्स के रिकार्ड़ स्तर पर जा पहुँचा है। बीते सात वर्षों के दौरान भारत का विदेशी मुद्रा भंड़ार बढ़कर दोगुना हुआ है और देश में मज़बूती से हुए इस विदेशी मुद्रा के भंड़ारण का भारत को अगले दिनों में लाभ होगा। भारतीय अर्थव्यवस्था पर निवेशकों का विश्‍वास अधिक बढ़ेगा, ऐसा विशेषज्ञों का कहना है।शुक्रवार के दिन रिज़र्व्ह बैंक के गव्हर्नर शक्तिकांत दास ने, देश का विदेश मुद्रा भंड़ार ६०० अरब डॉलर्स तक जा पहुँचा होने का अनुमान व्यक्त किया। रिज़र्व्ह बैंक ने इससे संबंधित आँकड़े २८ मई के दिन जारी किए थे और २८ मई के दिन खत्म हुए सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंड़ार ५९८.२ अरब डॉलर्स तक जा पहुँचा था और अब शुक्रवार के दिन खत्म हुए सप्ताह में यही मुद्रा भंड़ार अब ६०० अरब डॉलर्स से भी अधिक हुआ है, यह अनुमान ‘आरबीआय’ ने व्यक्त किया। इसका ब्यौरा बाद में घोषित किया जाएगा।

इससे पहले २१ मई के दिन खत्म हुए सप्ताह में देश के विदेश मुद्रा भंड़ार में ५९२.९ अरब डॉलर्स जमा थे। इसके अनुसार २१ मई से २८ मई के दौरान देश के विदेश मुद्रा भंड़ार में ५.३ अरब डॉलर्स की बढ़ोतरी हुई है। भारत ६०० अरब डॉलर्स से भी अधिक विदेशी मुद्रा भंड़ार रखनेवाला पांचवा देश बना है। फिलहाल मात्र चीन, जापान, स्वित्ज़र्लैंड़ और रशिया का विदेश मुद्रा भंड़ार ६०० अरब डॉलर्स से अधिक है

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