चीन का प्रभुत्व रोकने के लिए भारत के प्रयास

चीन का प्रभाव रोकने के लिये भारत-ऑस्ट्रेलिया द्विपक्षीय सहयोग व्यापक करने पर सहमत

 

खाड़ी क्षेत्र में संघर्ष की संभावना बढ़ीमेलबर्न – चीन का बढता प्रभाव रोकने के लिये ‘इंडो-पैसिफिक के प्रमुख देशों ने एक दुसरे के साथ सहयोग बढाने पर जोर दिया है और भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इनकी ऑस्ट्रेलिया यात्रा इसी कोशिष का हिस्सा माना जाता है| बुधवार के दिन सिडनी में दाखिल हुए राष्ट्रपति कोविंद इन्होंने गुरूवार के दिन प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसर से मुलाकात की| इस दौरान दोनों देशों में द्विपक्षी निवेश और खनिज क्षेत्र के साथ पांच समझौतों पर हस्ताक्षर हुए| इस दौरान राष्ट्रपति कोविंद ने सिडनी के ‘ज्युबिली पार्क’ में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी इनके प्रतिमा का उद्घाटन किया|

राष्ट्रपति कोविंद ऑस्ट्रेलिया को भेंट करने वाले भारत के पहले राष्ट्रपति है और इस कारण उनकी यह चार दिन की यात्रा अहम मानी जाती है| बुधवार के दिन ऑस्ट्रेलिया पहुंच कर राष्ट्रपति कोविंद ने प्रधानमंत्री मॉरिसन से मुलाकात करने के साथ ही ऑस्ट्रेलिया के उद्योगपतियों को संबोधित किया| प्रधानमंत्री मॉरिसन के साथ हुई बैठक में द्विपक्षीय सहयोग से जुडे कई मुद्दोंपर हुई चर्चा के साथ पांच समझौते हुए|

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चीन की सीमा के निकट भारत की विकास योजना के लिये २५ हजार करोड रुपयों का प्रावधान

 

खाड़ी क्षेत्र में संघर्ष की संभावना बढ़ी

नवी दिल्ली – भारत की सीमा के निकट चीन की सेना की गतिविधियों में बडी मात्रा में बढोतरी हो रही है, तभी भारत ने भी अपनी सरहदी क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं का विकास करने के लिये कई परियोजनाओं को शुरू किया है| इसके लिये लगभग २५० अरब रुपयों का प्रवधान किया गया है| केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंग इनकी अध्यक्षता में बनाई उच्चस्तरीय समिती ने यह ऐलान किया है| चीन सीमा से निकटवर्ती क्षेत्र से जुडे इस ऐलान को बडा सामरिक और राजनीतिक महत्त्व है|

अरूणाचल प्रदेश और सिक्कीम इन चीन सीमा से जुडे राज्यों में यह बुनियादी सुविधाओं की परियोजना शुरू हो रही है| इस में सडक निर्माण और प्रगत सुविधाओं से लैस इमारतों का निर्माण करने की योजना है| इस के पहले ईशान्य के राज्यों में बुनियादी सुविधाओं का निर्माण करने के विषय में भारत ने ध्यान नही दिया था| इस अनदेखी का पुरा लाभ चीन ने उठाया था| इस दौरान चीन ने भारतीय सीमा से जुडे क्षेत्र में काफी मात्रा में बुनियादी सुविधाओं का विकास किया| खास तौर पर तिब्बट में चीन ने सेना की बडी गतिविधियां शुरू की है और इस के लिये जरुरी बुनियादी सुविधाओं का निर्माण किया है| साथ ही अरुणाचल प्रदेश में तवांग यह तिब्बट का यानी चीन का हिस्सा है, यह दावा चीन ने किया था|

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चीनी कर्ज के चंगुल में फंसे हुए मालदीव को भारत से सहयोग की अपेक्षा

 

खाड़ी क्षेत्र में संघर्ष की संभावना बढ़ी

माली – मालदीव के राष्ट्राध्यक्ष पद के सूत्र हाथ लेने के बाद केवल कुछ ही घंटों में इब्राहिम मोहम्मद सोलिह ने जनता को देश के सामने होने वाले समस्याओं का एहसास दिलाया है| राजनैतिक हेतु से बड़े तादाद में कर्ज लेकर शुरू किए प्रकल्प की वजह से मालदीव संकट में फंसा है और इन प्रकल्पों में भ्रष्टाचार एवं गलत व्यवहार होने का आरोप है, ऐसा राष्ट्राध्यक्ष सोलिह ने कहा है| इस परिस्थिति में भारत से उन्हें सहायता की अपेक्षा होने की बात राष्ट्राध्यक्ष सोलिह ने स्पष्ट की है| भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्राध्यक्ष सोलिह इन के साथ पत्रकार परिषद में भारत मालदिव को सभी तौर पर सहयोग करने की घोषणा की है|

चीन अपने आर्थिक बल का उपयोग करके अविकसित देशों को बडे रकमों का कर्जा दे रहा है| इस कर्ज की वापसी करना उन्हें संभव नहीं है, इसका अहसास होकर भी चीन इन प्रकल्पों के लिए बड़ी रकम खर्च कर रहा है| चीन के इस शिकारी वित्त शास्त्र अथवा रिक्त धनादेश की धारणा से सभी देशों को सतर्क रहने की आवश्यकता होने की बात अमरिका से सूचित की जा रही है| भूतपूर्व राष्ट्राध्यक्ष अब्दुल्ला यामीन इनके कार्यकाल में मालदीव जैसा छोटा देश भी चीन के इस कर्ज के चंगुल में फंसा है| शनिवार को राष्ट्राध्यक्ष पद का शपथ लेने वाले सोलिह ने मालदीव की जनता को इस संकट का एहसास दिलाया था| देश की वित्त व्यवस्था चिंताजनक स्थिति में है यह कहकर राष्ट्राध्यक्ष सोलिह ने इसके विरोध में गतिमान कदम उठाने आवश्यक होनेकी बात स्पष्ट की है|

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इंडो-पसिफिक क्षेत्र में चीन से प्रभाव बढाने की कोशिश हो रही है तभी – अमरिका को भारत के साथ विविध स्तर के सामरिक सहयोग की उम्मीद

 

खाड़ी क्षेत्र में संघर्ष की संभावना बढ़ी

नई दिल्ली: भारत के प्रधानमंत्री ‘ईस्ट एशिया समिट’ के लिये १४ नवंबर के रोज सिंगापूर प्रस्थान कर रहे है| इस दो दिन की यात्रा के दौरान वह जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमरिका के शिर्ष नेताओं से चर्चा करेंगे| ‘इंडो-पसिफिक’ क्षेत्र में प्रभाव बढाने के लिये चीन की ओर से हो रही कोशिशों में बढोतरी हो रही है| इस पर चिंता जताई जा रही है तभी, भारत के प्रधानमंत्री जापान, ऑस्ट्रेलिय और अमरिका के प्रमुख नेताओं के बीच होने वाली चर्चा का बडा महत्त्व है| इस अवसर पर भारत इंडो-पसिफिक क्षेत्र के देशों के साथ विविध स्तर पर लष्करी सहयोग विकसित करें, ऐसी उम्मीद अमरिका ने जताई है|

इंडो पसिफिक क्षेत्र, चीन, प्रभाव बढाने, कोशिश, अमरिका, भारत, विविध स्तर, सामरिक सहयोग, उम्मीद‘क्वाड्रिलॅटरल सिक्युरिटी डायलॉग’ यानी ‘क्वाड’ नाम से जाने जा रहे भारत, अमरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया इन के सामरिक सहयोग इंडो-पसिफिक क्षेत्र में संतुलन कायम रखने के लिये सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है, यह दावा हो रहा है| चीन का बढता बल और आपा के कारण इस क्षेत्र का संतुलन खो रहा है| खास तौर पर इस क्षेत्र में चीन की नौसेना ने शुरू की हुई गतिविधियां खतरनाक है और आने वाले समय में इस के गंभीर परिणाम होने की संभावना है, ऐसी चेतावनी अमरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया लगातर दे रहे है| इस परिस्थिती में भारत की अहमियतता बढ रही है| भारत की ओर से इंडो-पसिफिक क्षेत्र में विविध स्तर पर लष्करी सहयोग विकसित करने की जरूरत है, ऐसी आशा अमरिका के वरिष्ठ नौसेना अधिकारी ने जताई है|

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