भारतीय अर्थव्यवस्था से जुडी महत्वपूर्ण खबरें
चीन के साथ व्यापारी सहयोग करने पर भारत सावधानी से फ़ैसला करेगा – विदेश सचिव श्रिंगला के संकेत
नई दिल्ली – लद्दाख की एलएसी पर तनाव कम करने के लिए भारत और चीन के लष्करी अधिकारियों के बीच चर्चा का १४वाँ सत्र जल्द ही शुरू होगा। उससे पहले चीन भारत के पास, व्यापारी संबंध पहले जैसे करने की माँग कर रहा है। भारत हालांकि इस पर विचार कर रहा है, फिर भी यह बात भारत पर बूमरैंग नहीं होगी, इसकी तसल्ली भारत को कर लेनी पड़ेगी। सरकार उस पर सभी पहलुओं से विचार कर रही है, ऐसी जानकारी विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रिंगला ने दी।
व्यापारी सहयोगसप्लाई चेन, निवेश विषयक सहयोग तथा तंत्रज्ञान तीन मोरचों पर भारत चीन के साथ सहयोग करने पर विचार कर रहा है, ऐसे संकेत विदेश सचिव ने दिए। लेकिन इससे पहले भारत ने, एलएसी पर तनाव निर्माण हुआ होने के बावजूद भी चीन के साथ व्यापारिक सहयोग कायम रखा था और उसके दुष्परिणाम भारत को ही भुगतने पड़े थे, इसकी विदेश सचिव ने अलग शब्दों में याद करा दी। अबकी बार वैसा नहीं होगा, इसके एहतियात भारत को बरतने होंगे, ऐसे संकेत विदेश सचिव ने दिए हैं।
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शीतकालीन सत्र में संसद में क्रिप्टोकरेंसी विषयक विधेयक प्रस्तुत होगा
नई दिल्ली – जल्द ही शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में ‘क्रिप्टोकरेंसी अँड रेग्युलेशन ऑफ ऑफिशअल डिजिटल करेंसी बिल, 2021’ यह विधेयक रखा जाएगा। रिजर्व बैंक द्वारा जारी की जानेवाली क्रिप्टोकरेंसी विषयक आलेखन इस विधायक प्रस्तुत किया जाएगा। उसी समय, अन्य प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाने का प्रावधान भी इस विधेयक में होगा। लेकिन उसमें से कुछ अपवाद (एक्सेप्शन्स) किए जाएंगे, ऐसी जानकारी सामने आई है।
शीतकालीन सत्रकुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘सिडनी डायलॉग’ को संबोधित करते समय, क्रिप्टोकरेंसी और बिटकॉइन गलत हाथों में ना जायें इसके लिए अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय एहतियात बरतें, ऐसा आवाहन किया था। साथ ही, युवा पीढ़ी पर इस क्रिप्टोकरेंसी के होनेवाले दुष्परिणामों से भी सतर्क रहने की आवश्यकता होने की चेतावनी प्रधानमंत्री ने दी थी। लोकतंत्रवादी देशों ने इसके विरोध में एकजुट दिखाकर सहयोग करने की आवश्यकता भी प्रधानमंत्री ने ज़ाहिर की थी। दुनिया भर में क्रिप्टोकरेंसी का बढ़ रहा इस्तेमाल और उसमें बढ़ता निवेश इन्हें मद्देनजर रखते हुए, कोई भी देश इसे नज़रअंदाज नहीं कर सकता, ऐसी परिस्थिति है। इसी कारण प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी के व्यवहार पर पाबंदी लगाने के साथ ही, इसके विरोध में चेतावनियाँ दीं जा रहीं हैं, ऐसे में दुनिया भर के प्रमुख देश वैध मार्ग से अधिकृत क्रिप्टोकरेंसी शुरू करने पर काम कर रहे हैं । उनमें भारत का भी समावेश है।
‘को-ऑपरेटिव सोसायटी’ नाम में ‘बैंक’ का इस्तेमाल नहीं कर सकती – रिज़र्व बैंक
मुंबई – कुछ को-ऑपरेटिव सोसायटीज़ अपने नाम में ‘बैंक’ शब्द का प्रयोग करती हैं, ऐसी शिकायतें प्राप्त हुई हैं| इसके जवाब में ‘आरबीआई’ ने कहा है कि, को-ऑपरेटिव सोसायटियों को अपने नाम में ‘बैंक’ शब्द का प्रयोग करने का अधिकार नहीं है| इन सोसायटीज् को किसी भी तरह के बैंकिंग के कारोबार करने की अनुमति नहीं है| इन संस्थाओं में जमा हो रही राशि ‘डिपोज़िट इन्शुरन्स ऐण्ड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन’ (डीआईसीजीसी) के तहत ना होने की बात आरबीआई ने स्पष्ट की है| इसके ज़रिये आम नागरिकों को ऐसी संस्थाओं में बैंकिंग के कारोबार करते समय चौकान्ना रहने का इशारा ‘आरबीआई’ ने दिया है|
बैंकिंग रेग्यूलेशन एक्ट १९४९ में किए गए सूधार बीते वर्ष २९ सितंबर से लागू किए गए हैं| इसके अनुसार को-ऑपरेटिव सोसायटीज् अपने नाम में बैंक, बैंकर्स या बैंकिंग शब्द का किसी भी तरह से प्रयोग नहीं कर सकतीं, इस मुद्दे पर आरबीआई ने ध्यान केंद्रीत किया है| साथ ही ऐसी संस्थाएँ उनके सदस्यों के अलावा अन्य लोगों से राशि स्वीकार नहीं कर सकतीं| यदि कोई ऐसी संस्था सदस्य ना होनेवाले व्यक्ति से राशि का स्वीकार करती हैं तो वह बैंकिंग का कारोबार बनता है और ऐसे कारोबार के लिए ‘आरबीआई’ की अनुमति के बिना नहीं किया जा सकता, यह भी आरबीआई ने स्पष्ट किया है|
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विदेशस्थ भारतीयों ने ८७ अरब डॉलर्स भारत में भेजे – दुनिया में सर्वाधिक रेमिटन्स भारत में
नई दिल्ली – इस वर्ष में विदेशस्थ भारतीयों ने भारत में भेजी निधि में बड़ी वृद्धि हुई है। विदेशों में रहनेवाले भारतीयों से आनेवाला रेमिटन्स यानी भेजी हुई निधि ८७ अरब डॉलर्स तक पहुँचेगी, ऐसा अनुमान जागतिक बैंक ने जताया है। भारत दुनिया में सर्वाधिक रेमिटन्स प्राप्त करनेवाला देश बना होकर, भारत को विदेशस्थ भारतीयों से प्राप्त हुई निधि में से सर्वाधिक निधि अमरीका से आई है, ऐसा भी जागतिक बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है।
India-remittancesविभिन्न देशों को विदेशों में रहनेवाले अपने नागरिकों से मिलनेवाली निधि के बारे में रिपोर्ट जागतिक बैंक ने बुधवार को जारी की। इस रिपोर्ट में भारत दुनिया में सर्वाधिक रेमिटन्स प्राप्त करनेवाला देश साबित हुआ है, यह बात अधोरेखांकित की गई है। भारत को अपने विदेशस्थ नागरिकों से मिलनेवाली निधि पिछले साल की तुलना में ४.६ प्रतिशत से बढ़ी है। यह रेमिटन्स ८७ अरब डॉलर्स तक जाएगा ऐसा अनुमान है। कोरोना के दौर में विदेशों में रहनेवाले भारतीयों ने भरपूर सारी निधि सहायता के रूप में भारत भेजी। कोरोना की दूसरी लहर में भारत में पाए जा रहे मरीजों की संख्या रिकॉर्ड स्तर पहुँची। साथ ही, सर्वाधिक मृत्यु भी भारत में दर्ज हो रहे थे। ऐसे समय विदेशस्थ भारतीयों द्वारा बड़े पैमाने पर सहायता का प्रवाह भारत की ओर शुरू हुआ, ऐसा जागतिक बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है।
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