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‘स्विफ्ट’ के विकल्प के तौर पर रशिया-ईरान ने शुरू की नई बैंकिंग प्रणाली

तेहरान – पश्चिमी देशों ने लगाए आर्थिक प्रतिबंधों को चकमा देने के लिए रशिया और ईरान ने अपनी ही स्वतंत्र बैंकिंग प्रणाली शुरू की हैं। अमरिकी डॉलर के कारोबार और स्विफ्ट के लिए विकल्प के तौर पर रशिया और ईरान की यह प्रणाली काम करेगी, ऐसा ऐलान ईरान ने किया। इस वजह से ७०० रशियन और १३ देशों के १०६ बैंक इस प्रणाली से जुड़ेगी। इन दोनों देशों ने पहले ही अलग मुद्रा एवं सोने को आधार बनाकर बनाई क्रिप्टोकरेन्सी का इस्तेमाल करने के संकेत दिए थे। रशिया-ईरान का यह सहयोग अमरीका और पश्चिमी मित्रदेशों को झटका साबित होगा।

‘स्विफ्ट’‘सोसायटी फॉर वर्ल्डवाईड इंटरबैंक फाइनान्शियल टेलिकम्युनिकेशन’ (एसडब्ल्यूआईएफटी) यानी ‘स्विफ्ट’ यह एक बेल्जियम स्थित सहकारी संस्था है। पूरे विश्व के बैंकों का एक दूसरे से हो रहा आर्थिक कारोबार आसान करनेवाली संस्था के तौर पर स्विफ्ट का ज़िक्र किया जाता है। दो या इससे अधिक देश एवं संगठनों के कारोबार के लिए इस्तेमाल हो रहे ‘लेटर ऑफ क्रेडिट, ट्रान्सफर या वॉरंटी’ देने के लिए स्विफ्ट का इस्तेमाल सहायक होता है। इसमें वैश्विक सदस्य भी शामिल होने की वजह से किसी भी देश का मालिकाना हक इस संस्था पर नहीं हैं। लेकिन, पिछले कुछसालों में अमरीका डॉलर के साथ स्विफ्ट का भी हथियार की भांती इस्तेमाल कर रही हैं, यह आरोप लगाए जा रहे हैं।

ईंधन कारोबार में डॉलर का इस्तेमाल कम होने पर अमरिकी अर्थव्यवस्था के लिए होगा गंभीर खतरा – अमरिकी आर्थिक विशेषज्ञ एवं पूर्व वरिष्ठ अधिकारी की चेतावनी

वॉशिंग्टन – विश्व के अधिक से अधिक देश ईंधन कारोबार में डॉलर का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं और यह अमरिकी अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा गंभीर खतरा है, ऐसा इशारा आर्थिक विशेषज्ञ पॉल क्रेग रॉबर्टस्‌‍ ने दिया। पॉल क्रेग रॉबटर्स्‌‍ अमरीका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष रोनाल्ड रीगन के कार्यकाल में बतौर आर्थिक सलाहकार के पद पर थे। इसकी वजह से उनका यह बयान ध्यान आकर्षित कर रहा है। पिछले महीने सौदी अरब के वित्त मंत्री मोहम्मद अल-जदान ने दावोस परिषद में अपना देश ईंधन कारोबार के लिए अमरिकी डॉलर के अलावा अन्य मुद्राओं का इस्तेमाल कर सकता है, ऐसे संकेत दिए थे। इसका दाखिला देकर रॉबर्टस्‌‍ ने अमरिकी डॉलर और अर्थव्यवस्था के खतरे का अहसास कराया।

कुछ दिन पहले प्रसिद्ध हुए एक लेख में रॉबर्टस्‌‍ ने पेट्रो-डॉलर का अन्त काफी खतरनाक प्रभाव डालेगा, ऐसा इशारा दिया। ईंधन कारोबार में डॉलर का इस्तेमाल खत्म हुआ तो डॉलर के मूल्य में गिरावट आ सकती है और इससे अमरीका में महंगाई और ब्याजदरों पर बड़ा असर पडेगा, इसका अहसास उन्होंने कराया। सौदी के वित्त मंत्री का बयान अमरिकी वित्तसंस्थाओं के प्रभाव एवं अमरीका के सामर्थ्य के लिए बड़ा खतरा होगा, ऐसा इशारा आर्थिक विशेषज्ञ रॉबर्टस्‌‍ ने दिया।

साल २०२२ में सेंट्रल बैंको ने एक हज़ार टन से अधिक सोना खरीदा – साल १९६७ के बाद का यह नया उच्चांक होने का ‘वर्ल्ड गोल्ड कौन्सिल’ का दावा

लंदन – विश्व की सेंट्रल बैंकों ने साल २०२२ में सोने की खरीद काफी बढ़ाई है। ‘वर्ल्ड गोल्ड कौन्सिल’ द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार पिछले साल इन बैंको ने एक हज़ार टन से अधिक सोना खरीदा है। सोना खरीदने वाले देशों में रशिया, चीन और भारत के अलावा तुर्की, इजिप्ट, उज़बेकिस्तान और इराक सबसे आगे थे। जुलाई से नवंबर के दौरान सबसे अधिक सोना खरीदने के मुद्दे पर ‘वर्ल्ड गोल्ड कौन्सिल’ ने ध्यान आकर्षित किया है।

‘वर्ल्ड गोल्ड कौन्सिल’नवंबर में ‘वर्ल्ड गोल्ड कौन्सिल’ ने अंतरराष्ट्रीय स्तर के सोने के कारोबार की जानकारी साझा करनेवाली रपट जारी की थी। इसमें अमरीकी डॉलर के मूल्य में उथल-पुथल की पृष्ठभूमि पर चीन समेत कई देशों ने सोने की खरीद काफी बढ़ाई है, यह कहा जा रहा था। ‘वर्ल्ड गोल्ड कौन्सिल’ की रपट के अनुसार जुलाई से सितंबर के तीन महीनों में कुल ३९९.३ टन सोना खरीदा गया। इनमें से तकरीबन ९० टन सोने की खरीद तुर्की, उज़बेकिस्तान और भारत की सेंट्रल बैंकों ने की थी।

बजट २०२३-२४ पेश

नई दिल्ली – देश की आज़ादी के अमृतकाल में पेश हो रहा केंद्रीय बजट सप्तर्षि यानी सात प्राथमिकता सामने रखकर पेश किया जा रहा हैं, ऐसा ऐलान केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने किया। इन सात प्राथमिकताओं में ‘सर्वसमावेशक विकास, समाज के हर स्तर पर पहुँचना, बुनियादी सुविधा एवं निवेश, क्षमता को बढ़ावा देना, हरित विकास, युवाशक्ति और वित्तीय क्षेत्र का समावेश हैं, यह वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमृतकाल में पेश किया गया यह बजट ऐतिहासिक है, यह कहकर गांव गांव के गरिब, किसान, मध्यमवर्ग के सपने यह बजट पूरा करेगा, यह विश्वास व्यक्त किया है। 

कोरोना की महमारी और यूक्रेन युद्ध के कारण पूरे विश्व में आर्थिक मंदी होने के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था बेहतर प्रदर्शन कर रहा हैं, इसका दाखिला देकर वित्त मंत्री सीतारामन ने बजट पेश किया। इस बजट में बुनियादी सुविधाओं का विकास, कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यटन एवं प्रौद्योगिकी विकास के लिए बड़ा प्रावधान किया गया है। मध्यमवर्गियों को आय कर की प्रदान हुई सहुलियत राहत देगी, ऐसा प्रतिक्रिया व्यक्त हो रही है। साथ ही देश के रक्षा क्षेत्र के आर्थिक प्रावधान में भारी १३ प्रतिशत बढ़ोतरी की गई है। बुनियादी सुविधाओं के लिए आवश्यक पूंजी निवेश ३३ प्रतिशत बढ़ाने का प्रावधान बड़ा ध्यान आकर्षित कर रहा है।

उद्योग क्षेत्र इस वजट का स्वागत कर रहा हैं। देश-विदेश के आर्थिक विशेषज्ञों ने यह बजट यानी भारत ने उचित दिशा में बढ़ाया कदम होने का बयान करके संतोष व्यक्त किया है। भारत के इस बजट की ओर पूरा विश्व बड़ी उम्मीदों से देख रहा है, ऐसा बयान प्रधानमंत्री मोदी और वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन ने किया थ। इस वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर से प्राप्त हो रही प्रतिक्रियों की अहमियत बढ़ रही है।

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