शिवगंगागौरीमाता-गदास्तोत्र का महत्त्व (Importance of Shivagangagauri-gadastotram) - Aniruddha Bapu

परमपूज्य सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने अपने १० मार्च २०१६ के पितृवचनम् में  ‘ शिवगंगागौरीमाता-गदास्तोत्र का महत्त्व ’ इस बारे में बताया।

शिवगंगागौरीमाता-गदास्तोत्र का महत्त्व (Importance of Shivagangagauri-gadastotram) - Aniruddha Bapu Pitruvachanam 10 Mar 2016
शिवगंगागौरीमाता-गदास्तोत्र का महत्त्व - Aniruddha Bapu
 

आज हम शिवगंगागौरीमाता-गदास्तोत्र का मतलब संक्षिप्त में देखते हैं। अभीष्टा है, अभीष्ट करनेवाली है, सब कुछ अच्छा करनेवाली है। अरिष्टस्तंभनकारिणी है। अरिष्ट याने जो संकट आनेवाला है उसका स्तंभन करनेवाली उसे वहीं रोक देनेवाली। ये कैसी है, तो वडवानला है। यानी पानी में भी जो अग्नि नहीं बुझती, ऐसी वह वडवानला है। वो किसी को भी जला सकता है जो भी बुरा है उसे जलानेवाले।

दुष्टोचाटनकारिणी मातः- दुष्टों का पूरी तरह उच्चाट्न करनेवाली हमारे शत्रुओं का नाश करनेवाली। रक्षात्मकं शत्रुविनाशकं इदं। वात्सल्यकवचं कवच प्रेम का है। लेकिन काम क्या करता है रक्षात्मकं, आपकी रक्षा करना और आपके शत्रुओं का नाश करना। ये साक्षात कामधेनु कही गयी है। 

 

  शिवगंगागौरीमाता-गदास्तोत्र के महत्त्व के बारे में हमारे सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।

 ॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥

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