भगवान कभी भी अपना वादा तोडते नहीं हैं (God never breaks His promises) - Aniruddha Bapu
परमपूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने २८ एप्रिल २०१६ के पितृवचनम् में ‘भगवान कभी भी अपना वादा तोडते नहीं हैं’, इस बारे में बताया।

(God never breaks His promises)
- Aniruddha Bapu
जब हम संघर्ष को युद्ध मानते हैं, और हमारा संघर्ष सबसे ज्यादा किसके साथ रहता है, भगवान के साथ। संघर्ष है तब तक अच्छा है, भगवान के साथ जब युद्ध करने लगते हैं, तब महिषासुर के सैनिक बन गये। हम बहुत बार सोचते हैं, बापू हम लोग इतनी भक्ति करते हैं, एक है हमारा दोस्त कोई भक्ती नहीं करता, पर उसका सालों से सब अच्छा चल रहा है। और पहले भक्ति करता था, भक्ति छोड दी, उसका बहोत अच्छा हो गया। अब ये किस चीज का भला कर रहा है? ऐसा क्यों होता है?
इसके लिये जान लो पहले, रावण ने क्या किया था? दस हजार साल तक तपश्चर्या किया था। राईट! वसिष्ठ ऋषि ने कितने साल की तपश्चर्या की थी? दस हजार साल। याज्ञवल्क्य ने कितने साल की थी? दस हजार साल। तीनों भी तपस्वी है। तपश्चर्या पे कुछ निर्भर नही है। तीनो भी तपस्वी है। ये दो वंदनीय है और एक निंदनीय है। हमे न मिलता ही नही, हम कैसे उसका इस्तेमाल करते है, इसपर सब कुछ depend करता है। हमे जानना चाहिये कि भगवान के साथ, जब उसकी भक्ती करने लगते है, तो भगवान हमे प्रॉमिस दे चुका है। साईबाबा ने प्रॉमिस दिया है। क्या प्रॉमिस दिया है? माझा जो जाहला काया वाचा मनी, तयाचा मी ऋणी सर्वकाळ॥
स्वामी समर्थ महाराज अक्कलकोट के उन्होने क्या कहा है? भिऊ नकोस, डरना नही, मै तेरे पिछे खडा हूं, मी तुझ्या पाठीशी उभा आहे. भगवान श्रीकृष्ण ने क्या कहा है - अनन्यांश्चिन्तयन्तो माम् ये जना: ......
जो मेरा चिंतन करते है, अनन्य भाव से उनके हर प्रकार की मै care करता हूं, care लेता हूं। हम भगवान को वचन देते है लेकिन हम लोग तोडते है। भगवान ने जो वचन दिया है वो कभी तोडता नही और यही प्रॉब्लेम है। लोग जल्दी से बुराई के मार्ग पर क्यो चले जाते है। क्योंकि भगवान कुछ रिव्हेंज नही लेता।
अभी समझो मि. ’ए’ है, और भगवान है। मि. ए ने भगवान को ये प्रॉमिस दिया है और भगवान ने मि. ए को ये प्रॉमिस दिया है। तो मि. ए ने अपना प्रॉमिस तोडा दिया फिर भी भगवान ने अगर प्रॉमिस दिया त्रिविक्रमजी ने, तो वो उसका पालन करनेवाला है, और इसका फायदा सब ४२० लोग उठाते है। हम लोग जो देखते है कि ४२० लोगों की चलती क्यों हो रही है, तो हमे ये जानना चाहिये कि भगवान अपना वचन कभी तोडता नही है।
रावण को उसने वर दिया था कि चलो तु जो माँगेगा वो मै तुम्हे दुँगा, शिवजी ने उसे बोला। रावण ने तुम्हारी पत्नी मुझे दे दो और तुम्हारा आत्मलिंग मुझे दे दो। दो वर माँगे थे, तो बेचारे शिव ने अपनी खुद की पत्नी भी दे दी, पार्वती और आत्मलिंग भी दे दिया यानी उसके प्राण। उसी शिवजी का विष्णु रुप भी था। वो आया बीच में। गणपति भी आये बीच में और दोनो भी वापस लाये,
भगवान कभी भी अपना वादा तोडते नहीं हैं, इस बारे में सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ने अपने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।