विश्वास की सीढी (The Step of Faith) - Aniruddha Bapu
सद्गुरु श्री अनिरुद्धने २३ जनवरी २०१४ के पितृवचनम् में ‘हमें विश्वास की सीढि चढना चाहिए’ इस बारे में बताया।।
हम लोग अगर बाबा के टाईम में होते, बाबा ने मुझे देखा कि नहीं, देखा कि नहीं, पूरा टाईम हमारा उसमें ही जाएगा । इधर बाबा ने देखा कि नहीं देखा। अरे, तुम तुम्हारा काम करो, उसे उसका काम करने दो ना! why you become his critics. उसे आपकी सेंसॉरशिप क्यों चाहिये? उसे देखना है तो कभी भी देखेगा और if you believe कि वो मुझे देखेगा, तभी मेरा भला होगा | That means you are not believing in Him at all. तुम्हारा विश्वास ही नहीं है उसमें।
उसे देखने की भी आवश्यकता नहीं है मेरी तरफ, इतनी ताकद जिसमें है वो सद्गुरु है, सच्चा भगवान है, ये हमें जानना चाहिए। देखने की भी जरूरत नहीं, सर पे हाथ रखने की भी जरूरत नहीं, yes that is important. मैं चाहता हूं, मुझे अच्छा लगता है कि वो मेरी तरफ देखे, no doubt, पर उसकी आवश्यकता नहीं होनी चाहिये।
अगर आवश्यकता है, तो उसका मतलब है क्या कि मेरा विश्वास सिर्फ १% है। Actually I will say 0%. किसी को बुरा न लगे इसलिएमै १% कह रहा हूं। विश्वास ये ऐसी बात है, all or none. थोडा विश्वास है, थोडा बढना चाहिए, NO. विश्वास है या नहीं है। तो हम जो सीढी चढने जा रहे हैं, वो कौन सी सीढी है? विश्वास की सीढी है। रिश्ते की सीढी है। बाबा के साथ हमारा जो रिश्ता है, उस रिश्ते की पहली सीढी क्या है, Friends, विश्वास की सीढी।
‘हमें विश्वास की सीढि चढना चाहिए’ इस बारे में हमारे सद्गुरु श्री अनिरुद्ध ने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥