भगवान के नाम के साथ आनन्द कीजिए (Enjoy with the name of God) - Aniruddha Bapu
परमपूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने १४ जनवरी २०१६ के पितृवचनम् में 'भगवान के नाम के साथ आनन्द कीजिए' इस बारे में बताया।
हम लोग जब पिकनिक पे जायें तो हमारे डॅड को और दादी को बोलें कि आओ, तुम भी थोडा मजा करो। उसके लिये कुछ पैसा खर्च करने की आवश्यकता नहीं होती, सिर्फ प्यार से बुलाना। ऐसा करने की आवश्यकता नहीं है कि चार टिकीट हमारे घर के लिये है, पिक्चर के और पाचवां त्रिविक्रम के लिये और छठा माँ के लिये जाये, नहीं, उसकी कोई आवश्यकता नहीं है। सिर्फ बुलाना चाहिये।
इसलिये ये साल जो है, मैंने किस बात के लिये रखा है, अध्यात्म के लिये, आध्यात्मिक प्रगति के लिये। और आध्यात्मिक प्रगति तभी होती है, जब हमारा मस्तिष्क जो है, हमारा मगज जो है, हमारा ब्रेन जो है, वो फ्रेश रहता है। हमारे पास आनंद होता है, तभी अध्यात्म हम अच्छी तरीके से कर सकते हैं। और जीवन में तो दुख ये आते ही रहते हैं, संकट आते ही रहते हैं, अडचनें आती ही रहती हैं, फिर भी हम लोग कैसे आनंद से जियें? So work with pleasure and enjoy with pleasure. Work with the name of God, enjoy with the name of God. Yes. करेंगे? हम काम भी भगवान का नाम लेकर आनंद से करेंगे? नक्की? और हम जब विश्राम करेंगे, मनोरंजन के लिये जायेंगे, तब भी भगवान को बुलायेंगे? काम में भी बुलायेंगे?
हम लोग एक गलती करते हैं। हम सिर्फ जब बडा काम करना होता है ना, कठिन काम करना होता है, तभी भगवान को बुलाते हैं। That is wrong. छोटे छोटे काम में भी बुलाना। जो आसानी से कर सकते हैं, तभी भी बुलाना। Yes, ऐसा मत सोचना, ये तो छोटा है, ये मुझे आता है, इसमें भगवान की क्या जरुरत है। मत सोचो ऐसा। जब आप छोटे छोटे काम के लिये बुलाते हो ना, तब वो बडे काम के लिये आने के लिये अपने आप आ जाता है। लेकिन आप छोटे काम में बोलते हैं कि मैं कर सकता हूं। मैं, मैं, मैं, मैं... तो बकरे जैसा कट जाते हैं एक दिन। छोटे छोटे काम के लिये उसको बुलाने मे थोडा सा भी हिचकिचाने की जरुरत नहीं है। बुलायेंगे? हर चीज के लिये बुलायेंगे? काम के लिये भी बुलायेंगे, श्रमपरिहार के भी बुलायेंगे, will be really recreation in our life.
हम इडात्मक होंगे या पीडात्मक होंगे? हमें इडा चाहिये या पीडा? इडा चाहिये, हमें इडा और पिंगला चाहिये, हमें पीडा नहीं चाहिये। इडा और पिंगला चाहिये। पिंगला जो कार्यशक्ति है, इडा जो श्रमपरिहारक शक्ति है। हम इडा और पिंगला को जिंदगी में प्राप्त करके रहेंगे? और श्रीश्वासम् है। जो भी खामी रह जायेगी, पूरा करेगी। श्रीशब्दध्यानयोग है। उसका हर एक स्वस्तिवाक्य आप देखकर बोलते जाइये, इडा और पिंगला अपने आप संतुलित होती रहेगी, balance होती रहेगी।
'भगवान के नाम के साथ आनन्द कीजिए' इस बारे में हमारे सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥