‘ ॐ लं ’ यह कहना ही काफी है (Chanting Om Lam is sufficient) - Aniruddha Bapu
परमपूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने ७ एप्रिल २०१६ के पितृवचनम् में ‘ ॐ लं यह कहना ही काफी है’ इस बारे में बताया।
अब आता है ‘शं’, ‘षं’, ‘सं’। ‘शं’, ‘षं’, ‘सं’ ये तीन बीज आते हैं । ‘वं’, ‘शं’, ‘षं’, ‘सं’ ये चार बीज। और क्या हम उसका उच्चारण कर सकते हैं? जरूर कर सकते हैं। आप करना चाहते हैं, चक्र को देखकर। जरूर करना चाहते होंगे घर पे। लेकिन ऐसा नहीं है कीजिए कि ॐ लं बोलने के बाद ॐ वं अलग बोलो, ॐ शं अलग बोलो, ॐ षं अलग बोलो, ॐ सं बोलो या ॐ वं बोलने के बाद ॐ शं बोले ऐसा कुछ भी नहीं। या इसी क्रम से बोले कुछ भी नहीं, सिर्फ चक्रों को देखते हुए बोलें और महत्वपूर्ण है कि श्रद्धा के साथ बोलें। विश्वास के साथ बोल! ये बीजों का उच्चारण है। इसके सिर्फ कंपन से मेरे त्रिविध देह में, मेरे स्थूल देह में, प्राणमय देह में, और मनोमय देह में भी उचित कंपन पैदा हो रहे हैं।
लेकिन अगर मुझे पूछें तो आप को ये बाकी के बीजमंत्र बोलने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि ये जो हर एक चक्र का जो मूल बीजमंत्र है, उसमें अपने आप ये चारों जितनी पंखुडियां हैं। उनसे काम हो जाता है। पूरी तरीके से । तो why complicated unnecessarily? ज्यादा कठिन क्यूं बनाना| तो ‘ ॐ लं ’ ही sufficient है| ले्किन अगर हम जान लें कि ‘शं’, ‘षं’, ‘सं’ क्या है? उससे हम जान सकते हैं कि हमें क्या क्या करना है्। क्या क्या कर सकते हैं? क्या क्या करने से हमारे जीवन में कैसी सुंदरता किस तरीके से हम लोग ला सकते हैं।
‘ ॐ लं यह कहना ही काफी है’ इस बारे में हमारे सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।