परमपूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने १८ फरवरी २०१६ के पितृवचनम् में ‘जीवन के विकास के लिये हर एक आवशक्यता पूरी करनेवाले ये ब्रम्हणस्पति हैं’ इस बारे में बताया।
ये ब्रह्मणस्पति जो है, हमारे जीवन के विकास के लिये जिस जिस चीज की भी आवश्यकता है, उसे हम तक पहुँचाने वाला, स्रोतों को जो अवरोध होता है उसे काटनेवाला और स्रोत को खुला करनेवाला, हमारा सहायक है, बुद्धिदाता है, विघ्नांतक है। right! सो आज उसी दृष्टि से प्रणाम करोगे? और कल? कल भी, हर रोज। दिन में दस बार प्रणाम करने की कोई आवश्यकता नहीं। एक विश्वास असावा पुरता, करता हरता गुरु ऐसा।
एक अपनी बाप की याद रखना, बाप की माँ की यानी दादी की याद रखना और उनका ये जो परिवार है, उनके फोटो के सामने, उनका नाम भी याद ना हो, सिर्फ ‘हे माँ’ करके प्रणाम करना, सबको प्रणाम अपने आप मिल जायेगा। हर एक को बाँटते फिरने की आपको कोई आवश्यकता नहीं है। बडे निश्चय के साथ, बिना डर के साथ, डर को छोडकर। तो आप लोग कहेंगे बापू डरना कैसे छोडना? डर तो अपने आप आ जाता है। आ जायेगा भाई, उसका काम है, लोगों के मन में घुसना। लेकिन हमे डर किस बात का? हमें डर का डर नहीं होना चाहिये, बस। भयावह विचार हमारे मन में आये।
कभी कभी सपना भी आता है कि पूरा एक्झॅम चल रहा है, एक भी question मुझे आ नहीं रहा है, मुझे 0 out of 100 मिल रहा है तो हंसना, ये तो अच्छा शगुन है कि जो होनेवाला है वो टल गया, सपने में वो सब खत्म कर दिया भगवान ने, अभी मुझे झिरो में से सौ मार्क्स मिलनेवाले हैं, ये ध्यान में रखना।
जब मैं भगवान के साथ हूं, तो मेरा बाल भी कोई बाका नहीं कर सकता है। पूरी जिंदगी के हर दिन में ऐसे ही हम प्रणाम करेंगे, ऐसे ही हम उपासना करेंगे, ऐसी ही गलतियां भी करते रहेंगे, गलतियां करते करते जरुर सुधर जायेंगे। क्योंकि एक ध्यान में रखिये, आपको सुधारने का ठेका आपने नहीं लिया है। कोई गोसावी ने या कोई दाढी बढाने वाले बाबा ने नहीं लिया है। हर एक बच्चे को सुधारने का ठेका सिर्फ उस माँ ने, माँ जगदंबा ने और उसके जो बेटा प्रमुख पुत्रतत्त्व है त्रिविक्रम, उसने लिया हुआ है।
बाकी किसी के बस की ये बात ही नहीं है। आप अगर खुद को भी बदलना चाहे, तो खुद को बदलने की ताकद भी आप में बहुत कम होती है। पिता त्रिविक्रम और दादी जगदंबा चण्डिका दुर्गा पर विश्वास रखना और जो जमें उतनी कोशिश अपने तो करते रहना। आप अपने आप सुधर जाओगे। अपने आप सहजता के साथ।
‘जीवन के विकास के लिये हर एक आवशक्यता पूरी करनेवाले ये ब्रम्हणस्पति हैं’ इस बारे में हमारे सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥