Bad weather conditions turned into good within just few minutes and we could board flight well before time

 
 

 

खराब मौसम की स्थिति कुछ ही मिनटों में अच्छी हो गई और हम समय से पहले ही उड़ान भर सके

 
- मुग्धा दुर्वे, कल्याण
 

दिसम्बर 2010 में मैं और मेरे पति सिडनी (ऑस्ट्रेलिया) अपनी बेटी के पास गए थे। जाने से पहले परमपूज्य सुचितदादा से जब आशिर्वाद लेने गए तो दादा ने कहा, ‘‘बेफिक्र होकर जाईए। कोई चिन्ता मत करना। मौज करना।’’ दादा के शब्द सुनकर मन बिलकुल शांत हो गया। सिडनी में 24 दिसम्बर को हम दोनों बेटी, दामाद और नाती के साथ ‘गोल्डकोस्ट’ नामक दर्शनीय स्थान पर घूमने गए थे। सिडनी से गोल्डकोस्ट जाने के लिए हवाईजहाज से डेढ घंटा लगता है।

हम गोल्डकोस्ट पहुंचे, तब बरसात का रुख था। 25 दिसम्बर से अचानक मूसलाधार बारिश होने लगी। बहुत ठंडी हवाएं चल रही थीं। हवा  की सीटियां क्या होती हैं यह हमने वहां पर अनुभव किया। टी.व्ही. पर निरंतर कह रहे थे कि बाढ आ सकती है। 27 तारीक को हम गोल्डकोस्ट से सिडनी लौटनेवाले थे। उस दिन सुबह से काले घने बादलों की वजह से अंधेरा छाया हुआ था। तूफानी हवाएं, मूसलाधार बारिश....कुल मिलाकर प्रकृति का स्वरूप डरावना था।

हमारा विमान शाम के 7.45 बजे गोल्डकोस्ट से उडान भरनेवाला था, अर्थात सिडनी पहुंचने के लिए तकरीबन रात के 9.30 बजते। वहां पर भी मौसम खराब होने की खबरें टी.व्ही. पर बताई जा रही थीं। हम बापूजी का नामस्मरण करते हुए दोपहर के 3.00 बजे एअरपोर्ट पर पहुंचे। हमारे दामाद श्री प्रसादसिंह ने काऊंटर पर पूछताछ की कि, क्या जल्दी वाली फ्लाईट की टिकटें मिल पाएंगीं? अचरज की बात तो यह है कि, दोपहर के 3.45 बजे की फ्लाईट में बराबर पांच ही सीट्स खाली थीं। खास बात तो यह है कि कोई भी पैसा काटे बगैर हमें हमारी रात की फ्लाईट के बदले में दोपहर की फ्लाईट की टिकटें मिल गईं। बापूजी हमारे ‘संग’ होने की गवाही मिलने लगी थी।

टिकटें तो मिल गईं, मगर वहां अनाऊन्समेंट हो रही थी कि खराब मौसम के कारण उस एअरपोर्ट से सुबह से एक भी विमान ने उडान नहीं भरी थी और ना ही कोई विमान वहां उतरा था। दिन में अंधेरा, बारिश और तेज हवाओं का रौद्ररूप तो हमें डरा ही रहा था।

अब क्या होगा? अब बापूजी ही तारेंगे। हम बापूजी को पुकारने लगे। ‘गुरुक्षेत्रम् मंत्र’ का पाठ शुरु किया और थोडे ही समय में तीन दिनों से जो अंधेरा छाया हुआ था और जो मूसलाधार बारिश हो रही थी वह अचानक 3.30 बजे थम गई। अंधेरा छटने लगा और हर तरफ उजाला फैल गया। बिलकुल 15-20 मिनटों में ही मौसम में जमीन आसमान का फर्क पड गया। यह देखकर हम दंग रह गए।

...और केवल 10 मिनटों में ही हमें एक और आश्‍चर्य का झटका लगा, वह यह कि अच्छे मौसम की वजह से दिनभर में पहला विमान उस एअरपोर्ट पर लैंड हुआ! और फिर अनाऊन्समेंट हुई कि 3.45 बजे सिडनी जानेवाला विमान थोडे ही समय में रवाना होगा।

दिनभर में यह पहला विमान उडनेवाला था, जिस की टिकटें हमारे हाथ में थीं।

‘बेफिक्र होकर जाओ, कोई चिन्ता मत करो’, परमपूज्य दादा के शब्द उस वक्त कानों में गूंजने लगे। कितनी बडी ताकत थी उन शब्दों में इस का अहसास हुआ। हमारे बापू सात समन्दर पार भी हमारे साथ थे, इसके लिए क्या किसी अन्य सबूत की जरुरत है?

‘जहां जाऊं वहां तू मेरे साथ है’ इस बात को हम अनुभव कर रहे थे। सारे संकटों की तुलना में ‘वे’ बहुत बहुत विशाल हैं यह तब महसूस हुआ और मन को इस बात की साक्ष्य मिली कि....यह गुरुमंत्र ग्रेट है और हमारा भगवान तो बहुत ही ग्रेट है।