दत्तजयंति नव वर्ष का विशेषांक
पिछले पांच वर्षों से दैनिक ’प्रत्यक्ष’ ने 'विशिष्ट, अद्भुत और अजीब' इसी विषय को अपने दत्तजयंति और गणतंत्र दिवस के विशेषांकों के लिए चुना है। हमें विश्वास है कि, जैसे ’प्रत्यक्ष’ अपनी पंद्रहवें वर्ष में कदम रख रहा है, पाठकगण इन दोनों ही अंको का ख़ुशी से स्वागत करेंगे।
दत्तजयंति का वार्षिक अंक ११ दिसंबर २०१९ को प्रकशित होगा और गणतंत्र दिवस का अंक २६ जनुअरी २०२० को प्रकाशित किया जाएगा।
श्रद्धावान इन अंको में विज्ञापन प्रायोजित करके अपना योगदान दे सकते हैं।
मोखाडा सी. एस. आर. दौरा
२० अक्टूबर को मोखाडा में एक, एक दिवसीय कॉर्पोरेट दौरा आयोजित किया गया था। स्टॉकहोल्डिंग कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड और कण्ट्रोल यूनियन के सी. एस. आर. दल ने इस दौरे में भाग लिया।
पप्रतिभागियों को मोखाडा में चल रहे कई भक्तिमय सेवाओं के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी गय। इस दल ने गंधीफ़ूल, तोरणशेट और पवारपाड़ा इन तीन गांवों का दौरा किया।
मोखाडा में कुपोषण के स्थायी मुद्दे से जूझने के लिए, 'चरखा अन्नापूर्णा' नामक अनोखी योजना २०१६ में मोखाडा में शुरू की गयी थी।
‘चरखा अन्नपूर्णा’ एक अनोखी योजना है, जिसमे लाभार्थी, स्थानीय गांव वासियों को चरखा चलाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। इन ग्रामवासियों को चरखा, कच्चा माल और प्रशिक्षण, नि:शुल्क प्रदान किए जाते हैं।
लाभार्थियों को २५० ग्राम चावल और ५० ग्राम दाल, चरखे पर बनायीं गयी हर एक लच्छे के बदले में दी जाती है | इन लच्छों को आगे संसाधित और सरंगित कर, उनसे विद्यालय की वर्दी बनाकर, बिना मूल्य कोल्हापुर और मोखाडा के गॉवों में बांटा जाता है|
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यह योजना मोखाडा के कई परिवारों की आजीविका का माध्यम बन गई है।
यह योजना सितम्बर २०१५ में १२ चरखों से गाँधीफूल गांव में प्रारम्भ की गई थी।
वर्त्तमान में चरखा अन्नपूर्णा १२ गांवों में ६० से अधिक चरखों से चलाई जा रही है और २५० से अधिक परिवार इसका लाभ उठा रहे हैं।
चरखा अन्नपूर्णा के अलावा स्वयंसेवक ग्रामीण लोगों को वर्मीकल्चर (केंचुओं का प्रयोग करके जैविक कचरे को खाद में रूपांतरित करना) के लिए अपने घर के आसपास गड्ढा बनाने में भी मदद करते हैं।
घरों और खेतों से उत्पन्न कचरे को इसके लिए प्रयोग में लाया जाता है। यह वेरीकम्पोस्ट और खेतों में प्राकृतिक खाद के रूप में प्रयोग किया जाता है।
परसबाग और रसोई बाग के अलावा, यह एक और ख़ास योजना है, जिसके लिए स्वयंसेवक गाँववालों को प्रशिक्षित कर रहे हैं। आँगन के छोटे से स्थान में सब्ज़ियां उगाई जा रही हैं।
लौकी, कद्दू, मिर्ची, बैंगन, अद्रक आदि उगाये जाते हैं।
दौरे पर आये कॉर्पोरेट लोगों ने गाँववालों से बातचीत की, और उनके जीवन में आये परिवर्तन को महसूस किया। उसके उपरान्त उन्हें कुछ सुझाव देने की भी इच्छा हुई, और इस योजना को अपना समर्थन देने की भी।
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