अफगानिस्तान से जुडी गतिविधियां
अफ़गानिस्तान में तालिबान के साथ लड़ रहा पाकिस्तानी सेना अधिकारी गिरफ्तार
काबुल – पाकिस्तान का तालिबान के साथ संबंध ना जोड़ें, ऐसा बयान पाकिस्तान के विदेशमंत्री ने कुछ दिन पहले ही किया था। लेकिन, तालिबान के पक्ष में लड़ रहे पाकिस्तानी लष्करी अधिकारी को हिरासत में लेकर अफ़गानिस्तान ने पाकिस्तान की पोल खोली है। अफ़गानिस्तान में दाखिल होने से पहले इस पाकिस्तानी अधिकारी ने यह बात भी कबूली है कि, वह अफ़गानिस्तान जाने से पहले जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में शामिल था। इस पाकिस्तानी सेना अधिकारी के कबूलनामे की वजह से अफ़गानिस्तान के साथ भारत में जारी आतंकी गतिविधियों में भी पाकिस्तान अब तक शामिल होने का आरोप नए से साबित हो रहा है।
पड़ोसी देशों में होनेवाले आतंकवादियों के आश्रयस्थान नष्ट होने के बाद ही अफगानिस्तान में शांति होगी – सुरक्षा परिषद में भारत के विदेश मंत्री का पाकिस्तान पर प्रहार
संयुक्त राष्ट्रसंघ – अफगानिस्तान में मचा आतंकवाद और खूनखराबा, इसके लिए पाकिस्तान में होनेवाले आतंकवादियों के ‘सुरक्षित स्वर्ग’ कारणीभूत हैं, ऐसा भारत में डटकर कहा। ठेंठ नामोल्लेख न करते हुए भारत के विदेश मंत्री ने, संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान पर यह प्रहार किया। उसी समय, अफगानिस्तान की व्यापारी यातायात रोककर पाकिस्तान इस देश की आर्थिक घेराबंदी कर रहा है, इस बात पर भी विदेश मंत्री जयशंकर ने सुरक्षा परिषद का गौर फरमाया।
संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में ‘युएन असिस्टन्स मिशन इन अफगानिस्तान-युएनएएमए’ पर चर्चा जारी थी। उस समय भारत की विदेश मंत्री ने, अफगानिस्तान में मचे हिंसाचार और अस्थिरता का केंद्र पाकिस्तान में होनेवाले आतंकवादियों के सुरक्षित स्वर्ग में है, यह स्पष्ट किया। नामोल्लेख टालकर जयशंकर ने, पाकिस्तान अपनी सीमा में से अफगानिस्तान में ‘आतंकवाद की निर्यात’ कर रहा होने का आरोप किया। इस कारण अगर अफगानिस्तान में कायमस्वरूपी शांति स्थापित करनी हो, तो सीमा के उस पार के आतंकवादियों के सुरक्षित आश्रय स्थान नष्ट करने ही पड़ेंगे। साथ ही, किसी भी प्रकार का आतंकवाद बर्दाश्त न करने की नीति अपनानी होगी और उसमें सीमा के उस पार से आतंकवाद का भी समावेश है, ऐसा जयशंकर ने स्पष्ट रूप में जताया।
आगे पढे: http://www.newscast-pratyaksha.com/hindi/terrorist-safe-havens-must-be-destroyed-to-endure-peace-in-afghanistan-says-s-jaishankar/पाकिस्तान के विदेशमंत्री कुरेशी तालिबान के सहयोगी होंगे – अफ़गानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का आरोप
काबुल/इस्लामाबाद – अफ़गानिस्तान में अस्थिरता फैला रहे तालिबान के आश्रयस्थान पाकिस्तान में हैं, यह आरोप अफ़गानिस्तान लगा रहा है। लेकिन, तालिबान के आश्रय स्थान हमारे देश में नहीं हैं, बल्कि अफ़गानिस्तान में होनेवाले आतंकी हमलों के लिए ‘इस्लामिक स्टेट-आयएस’ ज़िम्मेदार होने का बयान करके पाकिस्तान के विदेशमंत्री शाह महमूद कुरेशी ने तालिबान को ‘क्लीन चिट’ प्रदान की। पाकिस्तानी विदेशमंत्री कुरेशी के इस बयान पर अफ़गानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हमदुल्ला मोहिब ने तीखी आलोचना की। साथ ही पाकिस्तान के विदेशमंत्री पर्याप्त जानकारी ना रखनेवाले या बेपरवाह एवं तालिबान के सहयोगी होंगे, यह आरोप भी मोहिब ने लगाया।
पाकिस्तान के विदेशमंत्री शाह महमूद कुरेशी ने अफ़गान वृत्तसंस्था को साक्षात्कार दिया। ‘हमारे देश में अस्थिरता और तालिबान के बढ़ रहे हमलों के लिए पाकिस्तान ज़िम्मेदार है। तालिबान के बड़े नेता पाकिस्तान में आश्रय लेकर रह रहे हैं। क्वेट्टा शूरा और पेशावर शूरा नामक तालिबान के बड़े आतंकी संगठन पाकिस्तान के बलोचिस्तान स्थित क्वेट्टा और खैबर-पख्तूनवाला के पेशावर शहर में ड़ेरा जमाए हुए हैं। तालिबानियों को पाकिस्तान से आर्थिक सहायता प्रदान होती है’, ऐसे सीधे आरोप अफ़गान साक्षातकारकर्ता ने किए। इसके लिए पाकिस्तान के लाहोर के प्रार्थना स्थान में तालिबानियों के लिए चंदा इकठ्ठा किया जाने का वीडियो सामने आने की याद भी इस साक्षातकारकर्ता ने कराई।
आगे पढे: http://www.newscast-pratyaksha.com/hindi/pakistan-foreign-minister-qureshi-must-be-an-associate-of-taliban-accuses-hamdullah-mohib/तुर्की की अफ़गानिस्तान में सेना तैनाती करना गंभीर भूल होगी – तालिबान का तुर्की को इशारा
दोहा/इस्लामाबाद – ‘नाटो के सहयोगी देशों की वापसी के बाद भी अफ़गानिस्तान में अपनी सेना तैनात रखना तुर्की के लिए गंभीर भूल होगी। यह तुर्की के हित में नहीं होगा’, ऐसी सख्त चेतावनी तालिबान ने दी है। इसके साथ ही नाटो के सदस्य देश तुर्की को भी अफ़गानिस्तान में घुसपैठी करार देकर कार्रवाई की जाएगी, ऐसी धमकी तालिबानी नेताओं ने दी है। काबुल के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की सुरक्षा के लिए अपने सैनिकों की तैनाती रखने की माँग तुर्की ने नाटो के सामने रखी थी। इस पर अमरीका ने तुर्की की माँग का समर्थन किया है। इससे गुस्सा हुए तालिबान ने तुर्की को फिर एक बार इशारा दिया हुआ दिख रहा है।
एक इस्लामधर्मी देश ने विदेशी घुसपैठियों के पक्ष में खड़े होकर दूसरे इस्लामी देश के साथ शत्रुता करना अच्छी बात नहीं है, यह इशारा भी तालिबान ने तुर्की को दिया है। तालिबान ने इससे पहले भी तुर्की को यही इशारा दिया था। अमरीका और नाटो सेनाओं की वापसी के बाद भी अफ़गानिस्तान की राजधानी काबुल के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की सुरक्षा के लिए अपनी सेना तैनात रखने का प्रस्ताव तुर्की ने रखा था। इसे अमरीका ने समर्थन दिया है। लेकिन, तालिबान ने इस पर प्रतिक्रिया दर्ज़ करते हुए यह इशारा दिया है कि, नाटो का सदस्य तुर्की अपनी सेना को अफ़गानिस्तान में तैनात नहीं रखत सकता। आगे पढे: http://www.newscast-pratyaksha.com/hindi/turkey-keeping-its-troops-presence-in-afghanistan-is-mistake-taliban-warns-again/अफगानिस्तान से अमरीका की वापसी के बाद अलकायदा दो सालों में संगठित होगा – अमरीका के रक्षामंत्री लॉईड ऑस्टिन