भारत के रक्षा क्षेत्र से जुडी गतिविधियां - 1

चीन को चेतावनी देने के लिए लद्दाख की एलएसी पर भारतीय सेना का युद्धाभ्यास

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लडाख – पूर्वी लद्दाख में १४ हज़ार फीट की ऊंचाई पर युद्धाभ्यास करके भारतीय सेना ने चीन को अपनी क्षमता का एहसास करा दिया। लद्दाख की एलएसी पर भारतीय सेना को चुनौती देने की तैयारी कर रहे चीन ने, अपने जवानों के लिए ‘मोबाईल ऑक्सिजन गिअर्स’ यानी प्राणवायु का सप्लाई करनेवाली यंत्रणा तैयार की है। पिछले साल लद्दाख का हवामान सहन न होने के कारण चीन के कई जवान बीमार पड़े थे; वहीं, चीन के एक वरिष्ठ अधिकारी को इस हवामान के कारण जान गँवानी पड़ी थी। इस पृष्ठभूमि पर, भारतीय सेना का यह तीन दिन का युद्धाभ्यास गौरतलब साबित होता है। अन्तर्राष्ट्रीय न्यूज़ एजेंसियों ने इसकी दखल ली है।

पूर्व लद्दाख में ‘शत्रूजित’ नामक इस युद्धाभ्यास में भारतीय सेना ने पैरा जंपिंग करके शत्रु के चंगुल से भूमि को छुड़ाने का अभ्यास किया। समुद्री सतह से १४ हज़ार फीट ऊंचाई पर किया यह युद्धाभ्यास भारतीय सेना की क्षमता का प्रदर्शन करानेवाला साबित हुआ। इसमें दुश्मन के चंगुल से अपनी भूमि मुक्त करने के अभ्यास का समावेश था। इसकी गंभीर दखल चीन को लेनी पड़ी। क्योंकि पिछले कुछ महीनों से चीन ने लद्दाख की एलएसी के पास अपनी तैनाती भारी मात्रा में बढ़ाई है। ऊपरी तौर पर हालांकि चीन इसके जरिए आक्रामकता प्रदर्शित करने की बात दिखाई दे रही है, फिर भी वास्तव में चीन की यह कार्रवाई बचावात्मक होने का दावा कुछ लोग कर रहे हैं।

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नई दिल्ली – रक्षा मंत्रालय के ‘डिफेन्स एक्विजिशन कौन्सिल’ (डीएसी) ने मंगलवार के दिन रक्षा बलों के लिए अहम खरीद के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की। कुल ७,९६५ करोड़ रुपयों के यह प्रस्ताव रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता के इस समिति ने मंजूरी प्रदान की। इस प्रस्ताव के तहत खरीदे जा रहे यह सभी सामान ‘मेक इन इंडिया’ के तहत निर्माण होंगे, यह रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया है।

‘डीएसी’ ने बीते महीने १३ हज़ार करोड़ के रक्षा सामान की खरीद को मंजूरी प्रदान की थी। इसके बाद और तकरीबन आठ हज़ार करोड़ के प्रस्ताव ‘डीएसी’ ने मंजूर किए हैं। इसके अनुसार रक्षाबलों के लिए १२ ‘लाईट युटिलिटी हेलिकॉप्टर्स’ (एलयूएच) की खरीद होगी। साथ ही नौसेना के लिए ‘लिंक्स यू २’ नामक गन कंट्रोल सिस्टम की खरीद होगी। साथ ही नौसेना के लिए नवीनतम सुपर रैपिक माऊंट गन्स (एसआरजीएम) भी खरीदी जाएंगी। इससे युद्धपोतों की क्षमता बढ़ेगी, यह दावा किया जा रहा है। ‘भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड’ से इस यंत्रणा की खरीद होगी। इसके अलावा २५ ‘डॉर्नियर’ विमानों के आधुनिकीकरण के लिए भी ‘डीएसी’ ने मंजूरी दी है।

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नई दिल्ली – ‘प्रोजेक्ट १५ बी’ (पी१५बी) के तहत माज़गांव डॉकयार्ड में निर्मित ‘स्टेल्थ मिसाइल गाइडेड’ विध्वंसकों में से पहला ‘आयएनएस विशाखापट्टनम्‌’ विध्वंसक सभी परीक्षण पूरे होने के बाद नौसेना को दिया गया। यह विध्वंसक जल्द ही नौसेना के बेड़े में शामिल किया जाएगा। नौसेना ने यह जानकारी प्रदान की।

‘आयएनएस विशाखापट्टनम्‌’ ‘प्रोजेक्ट १५ बी’ के तहत निर्माण हो रहे चार में से पहला विध्वंसक है। इन विध्वंसकों के वर्ग को ‘विशाखापट्टनम्‌ क्लास डिस्ट्रॉयर’ या ‘पी १५ ब्रैवो क्लास डिस्ट्रॉयर’ नाम दिया गया है। इस वर्ग को ‘पी १५ बी’ नाम से भी जाना जाता है। वर्ष २०११ में ३५ हज़ार करोड़ रुपयों के इस प्रकल्प को मंजूरी प्राप्त हुई थी और इसके तहत निर्माण होनेवाले चार में से पहले विध्वंसक का निर्माण वर्ष २०१३ में शुरू किया गया था। इसके बाद वर्ष २०१५ में इनमें से पहले ‘आयएनएस विशाखापट्टनम्‌’ का जलावतरण हुआ। निर्धारित समय के अनुसार यह विध्वंसक बीते वर्ष ही नौसेना के बेड़े में शामिल होने की उम्मीद थी। लेकिन, परीक्षण के दौरान इस विध्वंसक पर आग लगने से इसकी समय सारिणी में देर होने की बात कही जा रही है।

अब यह विध्वंसक सभी परीक्षणों के बाद नौसेना को दिया गया है। इससे नौसेना के बेड़े में इसका समावेश करने की अब औपचारिकता ही बची है और यह समारोह जल्द ही होगा, ऐसा कहा जा रहा है। २८ अक्तुबर के दिन माज़गांव डॉक में नौसेना के अफसरों को यह विध्वंसक सौंपा गया।

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 ‘अग्नी-5’ के बाद ‘एलआर बम’ का परीक्षण

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बालासोर – रक्षा संशोधन विकास संस्था (डीआरडीओ) ने ‘अग्नी-5’ इस अंतर्महाद्वीपीय बैलिस्टिक क्षेपणास्त्र ओ का परीक्षण करने के बाद कुछ ही घंटों में ‘लाँग रेंज बम’ इस महत्वपूर्ण शस्त्र का परीक्षण किया गया है। वायुसेना के लड़ाकू विमान से किया गया यह परीक्षण सफल साबित हुआ होकर, इस स्वदेशी एलआर बम ने परीक्षण के दौरान सभी निकष पूरे किए होने की जानकारी अधिकारी ने दी है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंग ने इस सफलता पर डीआरडीओ का अभिनंदन किया है। वहीं, इस पद्धति की शस्त्र प्रणाली के देशांतर्गत विकास में ‘एलआर बम’ का सफल परीक्षण अहम पड़ाव साबित होगा, ऐसा दावा डीआरडीओ के अध्यक्ष जी. सतीश रेड्डी ने किया है।

एलआर बम यानी लाँग रेंज बम की प्रणाली के बारे में अधिक विवरण सार्वजनिक नहीं किया गया है। दुश्मनों पर हवाई हमले करते समय एलआर बम तंत्रज्ञान अहम साबित होगा, ऐसा दावा किया जा रहा है। डीआरडीओ ने यह तंत्रज्ञान विकसित किया है। डीआरडीओ के हैदराबाद स्थित रिसर्च सेंटर (आरसीआय) में एलआर बम का तंत्रज्ञान विकसित किया गया। इस बम के विकास में डीआरडीओ के अन्य विभागों का अहम योगदान रहा है।

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