भारत के रक्षा क्षेत्र से जुडी गतिविधियां - 4

देेश की पहली स्वदेश ड्रोन डिफेन्स डोम सिस्टिम ‘इंद्रजाल’ विकसित

नई दिल्ली – हाल ही में जम्मू के वायुसेना के अड्डे पर ड्रोन द्वारा दो आतंकवादी हमले किए गए थे। देश में पहली बार इस प्रकार ड्रोन द्वारा हमले हुए हैं। इससे सुरक्षा यंत्रणा के सामने नईं चुनौतियाँ खड़ी हुईं हैं। इस पृष्ठभूमि पर एक गौरतलब खबर सामने आई है। रोबोटिक्स क्षेत्र में काम करनेवाली ‘ग्रेन रोबोटिक्स’ इस प्राइवेट कंपनी ने पहली स्वदेश ड्रोन डिफेन्स डोम सिस्टिम विकसित करने में सफलता प्राप्त की है। इस कंपनी के सलाहकार मंडल पर होनेवाले रक्षा विशेषज्ञ, वर्तमान-पूर्व लष्करी अधिकारी इनके मार्गदर्शन में ‘इंद्रजाल’ नामक इस ड्रोन डिफेन्स डोम सिस्टिम का निर्माण किया गया, ऐसा कंपनी ने कहा है।

आतंकवादियों ने घातपात के लिए शुरू किया ड्रोन का इस्तेमाल, सुरक्षा यंत्रणा के सामने नई चुनौती के रूप में सामने आया है। पिछले दो सालों से पाकिस्तान द्वारा आतंकवादियों को हथियारों की सप्लाई करने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा था। ऐसी तस्करी की कई कोशिशें सुरक्षाबलों ने नाकाम कर दीं। लेकिन अब इस ड्रोन का इस्तेमाल करके हमलें कराने की कोशिशें पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन कर रहे हैं। रविवार को हुए हमले के बाद इस मोरचे का सामना करने की तैयारी भारत को रखनी पड़ेगी, ऐसा स्पष्ट रूप में सामरिक विशेषज्ञ जता रहे हैं।

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रक्षामंत्री राजनाथ सिंग लद्दाख की एलएसी पर सेना की सिद्धता का जायज़ा लेंगे

रक्षा क्षेत्र से जुडी गतिविधियां

नई दिल्ली – लद्दाख की एलएसी के विवाद का हल चर्चा के जरिए निकालने की बात भारत और चीन ने मान्य की, विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया। लेकिन लद्दाख की एलएसी पर भारत बहुत ही सतर्क होकर यहां की गतिविधियों पर भारतीय लश्कर नजर रखे हुए हैं, ऐसा जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने स्पष्ट किया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंग रविवार को लद्दाख की एलएसी की भेंट करने वाले होकर कामा यहां की सुरक्षा का जायज़ा लेंगे, ऐसी खबरें आईं हैं। रक्षा मंत्री की यह लद्दाख की एलएसी की भेंट यानी भारत ने चीन को दी एक और चेतावनी है यह स्पष्ट हो रहा है।

भारत और चीन के बीच लद्दाख की एलएसी पर तनाव कम करने के लिए चर्चा का नया सत्र शुरू होगा। इस चर्चा से पहले ही एलएसी पर का तनाव कम करने की ज़िम्मेदारी चीन पर ही है, इसका एहसास विदेश मंत्री जयशंकर ने करा दिया था। लद्दाख की एलएसी पर कुछ भागों में अभी भी चीन के जवान तैनात हैं। यह तैनाती हटाने की बात चीन ने लिखित स्वरूप में मान्य की थी, इसकी याद जयशंकर ने करा दी। उस पर बात करते समय, चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने ऐसी प्रतिक्रिया दी थी कि घुसपैंठ रोकने के लिए यह तैनाती है।

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१२२ एमएम कैलिबर और पिनाका रॉकेट की प्रगत आवृत्ति का परीक्षण

रक्षा क्षेत्र से जुडी गतिविधियां

चांदिपूर – कोरोना की दूसरी लहर शुरू होने के बाद ‘डीआरडीओ’ ने हथियारों का परीक्षण बंद किया था। अब यह परीक्षण दोबारा शुरू किया गया है। गुरूवार के दिन ‘डीआरडीओ’ ने सबसोनिक क्रूज़ निर्भय मिसाइल का परीक्षण किया था। इसके बाद अब ‘१२२ एमएम कैलिबर रॉकेट’ समेत पिनाका रॉकेट की प्रगत आवृत्ति का परीक्षण किया है। ‘मल्टी बैरल रॉकेट लौन्चर’ (एमबीआरएल) की सहायता से किया गया यह परीक्षण सफल हुआ है। प्रगत ‘पिनाका’ के दो दिनों के दौरान कुल २५ परीक्षण करने की जानकारी रक्षा मंत्रालय ने साझा की है। १२२ एमएम कैलिबर एवं पिनाका रॉकेट की प्रगत आवृत्तियां का सफल परीक्षण करने पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने वैज्ञानिकों की सराहना की।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने ओड़िशा स्थित चांदिपूर रेंज से यह परीक्षण किया। पिनाका रॉकेट का यह परीक्षण गुरूवार २४ जून और शुक्रवार २५ जून लगातार दो दिन किया गया। पिनाका रॉकेट की ‘मार्क-१’ आवृत्ति बीते २१ वर्षों से भारतीय सेना के बेड़े में शामिल है। कारगिल युद्ध में भी स्वदेशी निर्माण के यह रॉकेट काफी उपयोगी साबित हुए थे। लेकिन, अब इस रॉकेट की मारक क्षमता बढ़ाई जा रही है। ७५ किलोमीटर दूरी तक हमला करने की क्षमता वाले पिनाका की ‘मार्क-२’ आवृत्ति फिलहाल विकसित की जा रही है। इसके साथ ही पिनाका मार्क-१ की मारक क्षमता भी बढ़ाई गई है। बीते दो दिनों में किए गए यह परीक्षण ‘मार्क-१’ आवृत्ति के थे। लेकिन, इस रॉकेट की मारक क्षमता अब ४० किलोमीटर की बजाय ४५ किलोमीटर हुई है।

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‘डीआरडीओ’ ने किया सबसॉनिक क्रूज़ ‘निर्भय’ मिसाइल का परीक्षण

रक्षा क्षेत्र से जुडी गतिविधियां

बालासोर – हज़ार किलोमीटर की मारक क्षमता के परमाणु वाहक सबसॉनिक क्रूज़ ‘निर्भय’ मिसाइल का गुरूवार के दिन परीक्षण किया गया। इस वजह से इस मिसाइल की भारतीय रक्षाबलों के बेड़े में औपचारिक समावेश की राह खुल गई है। इस मिसाईल का बीते अक्तुबर में परीक्षण का कार्यक्रम तय किया गया था। लेकिन, कुछ तकनीकी खराबी के कारण यकायक यह परीक्षण रोका गया था। इसके आठ महीने बाद ‘डीआरडीओ’ ने ‘निर्भय’ मिसाइल का परीक्षण किया है। इस मिसाइल का अभी भारतीय रक्षाबलों के बेड़े में औपचारिक समावेश नहीं हुआ है, फिर भी बीते वर्ष यह मिसाइल चीन की सीमा पर तैनात की गई है।

पूरी तरह से भारतीय निर्माण से बनी ‘निर्भय’ मिसाइल उपग्रहों के नेटवर्क से जुड़े होने से बिल्कुल सटीक हमला करने की क्षमता रखती है। उड़ीसा स्थित बालासोर में सुबह करीबन १०.४५ बजे ‘डीआरडीओ’ ने इस मिसाइल का परीक्षण किया। यह मिसाइल ‘मैक-८’ गति से हमला करने की क्षमता रखती है। भारत की यह परमाणु वाहक सबसॉनिक क्रू्ज़ ‘निर्भय’ मिसाइल कम उंचाई से यात्रा कर सकती है और इससे शत्रु के राड़ार को चकमा देने की ताकत भी यह मिसाइल रखती है।

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