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रामरक्षा प्रवचन-२६ | सहस्रमुख-शेष, अध्यात्म, शरीरशास्त्र और भक्ति का अटूट नाता

रामरक्षा प्रवचन-२६ | सहस्रमुख-शेष, अध्यात्म, शरीरशास्त्र और भक्ति का अटूट नाता

‘हे सौमित्रिवत्सल राम, आप मेरे मुख की रक्षा कीजिए’ - यह प्रार्थना हमारे के लिए महत्त्वपूर्ण क्यों है, तो वह हमें संकट में धकेलनेचाली किसी भी अनुचितता से हमारे रक्षा करती है इसलिए; लेकिन उसके लिए मर्यादायुक्त भक्ति का पालन ही कैसे आवश्यक है, यह विभिन्न उदाहरणों सहित सद्गुरु अनिरुद्ध बापू समझाकर बताते हैं

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