Sadguru Aniruddha Bapu

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रामरक्षा प्रवचन - ९ | हमारे जीवन में ‘खरगोश-कछुए की दौड़’ कौनसी है?

रामरक्षा प्रवचन - ९ | हमारे जीवन में ‘खरगोश-कछुए की दौड़’ कौनसी है?

Aniruddha Bapu - ‘स्पर्धिनेत्रं’ इस शब्द में ही जो प्रतिस्पर्धा (दौड़) का संकेत है, वह कौनसी है और हम उसे कैसे जीत सकते हैं, हमारे जीवन में भी ऐसी ही एक ‘ख़रगोश और कछुए की दौड़’ चालू ही रहती है, उस दौड़ में ‘ख़रगोश’ कौन है और ‘कछुआ’ कौन है?

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