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‘मैं हूँ’ यह त्रिविक्रम का मूल नाम है - भाग २ (‘ I Am ’ Is Trivikram's Original Name - Part 2) - Aniruddha Bapu‬ Hindi‬ Discourse 01 Jan 2015

‘मैं हूँ’ यह त्रिविक्रम का मूल नाम है - भाग २ (‘ I Am ’ Is Trivikram's Original Name - Part 2) - Aniruddha Bapu‬ Hindi‬ Discourse 01 Jan 2015

‘ I Am ’ Is Trivikram's Original Name - Part 2 - सकारात्मक सोच से भगवान से मांगना चाहिए। ‘मैं हूँ’ (‘ I Am ’) यह त्रिविक्रम का मूल नाम है, इसी नाम को अंबज्ञ कहते हैं

‘मैं हूँ’ यह त्रिविक्रम का मूल नाम है (‘I Am’ Is Trivikram's Original Name) - Aniruddha Bapu‬ Hindi‬ Discourse 01 Jan 2015

‘मैं हूँ’ यह त्रिविक्रम का मूल नाम है (‘I Am’ Is Trivikram's Original Name) - Aniruddha Bapu‬ Hindi‬ Discourse 01 Jan 2015

‘I Am’ Is Trivikram's Original Name - आदिमाता चण्डिका और उनके पुत्र त्रिविक्रम से कुछ मांगते समय श्रद्धावान को सकारात्मक (पॉझिटिव्ह) रूप से मांगना चाहिए। वेदों के महावाक्य यही बताते हैं कि हर एक मानव में परमेश्वर का अंश है।

अहंकार आणि स्वाभिमान यातील फरक-Difference Between Ego And Self Respect

अहंकार आणि स्वाभिमान यातील फरक-Difference Between Ego And Self Respect

The Difference Between Ego And Self Respect - स्वत:चे स्वत्व कधीही घालवू नका. अहंकार आणि स्वाभिमान (Ego And Self Respect) यातील फरक ओळखून वागायला हवे,

‘मी आहे’ हे त्रिविक्रमाचे मूळ नाम आहे (‘ I Am ’ Is The Original Name Of Shree Trivikram) - Aniruddha Bapu Marathi Discourse 01 Jan 2015

‘मी आहे’ हे त्रिविक्रमाचे मूळ नाम आहे (‘ I Am ’ Is The Original Name Of Shree Trivikram) - Aniruddha Bapu Marathi Discourse 01 Jan 2015

‘ I Am ’ Is The Original Name Of Shree Trivikram - पण मानवाने हे लक्षात घ्यायला हवे की ‘मी आहे’ हे त्रिविक्रमाचे मूळ नाम आहे. म्हणूनच कमीत कमी भगवंतासमोर बोलताना तरी या वाक्याचा उचित वापर करण्याची काळजी मानवाने घ्यायला हवी.

भाव इस शब्द में समग्रता है (There Is A Wholeness In The Word 'Bhaav') - Aniruddha Bapu Hindi Discourse 16 Oct 2014

भाव इस शब्द में समग्रता है (There Is A Wholeness In The Word 'Bhaav') - Aniruddha Bapu Hindi Discourse 16 Oct 2014

There Is A Wholeness In The Word 'Bhaav' - मानव के भीतर रहने वाले ‘मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार’ ये चारों मिलकर किसी व्यक्ति, वस्तु या घटना के प्रति उठने वाले प्रतिसाद, भावना आदि को मिलाकर जो सहज स्पन्द उत्पन्न होता है, उसे भाव कहते हैं।

स्वयं को कोसते रहने की प्रवृत्ति और झूठा मैं (Self Blaming Tendency and False Self) - Aniruddha Bapu Hindi Discourse 18 Sep 2014

स्वयं को कोसते रहने की प्रवृत्ति और झूठा मैं (Self Blaming Tendency and False Self) - Aniruddha Bapu Hindi Discourse 18 Sep 2014

मनुष्य के हाथों जो गलती हुई है, उसका एहसास रखकर, उसे भगवान के पास उसे कबूल कर, उसे सुधारने का प्रयास भक्तिशील बनकर मानव को अवश्य करना चाहिए। उस गलती के लिए स्वयं को बार बार कोसते नहीं रहना चाहिए। मनुष्य के इस तरह स्वयं को बार बार दोषी ठहराते रहने की प्रवृत्ति से ‘झूठे मैं’ को बल मिलता है, इस बारे में परम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने अपने १८ सितंबर २०१४ के प्रवचन में मार्गदर्शन किया, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं l

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