Sadguru Aniruddha Bapu

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रामरक्षा ३० | निर्गुण भगवान की सगुण आराधना : रामप्रिय भरतजी की प्रेमोपासना अर्थात् वंदनभक्ति

रामरक्षा ३० | निर्गुण भगवान की सगुण आराधना : रामप्रिय भरतजी की प्रेमोपासना अर्थात् वंदनभक्ति

सद्गुरु अनिरुद्ध बापू - कण्ठ अर्थात् गर्दन यह जिस प्रकार सिर एवं बाक़ी का शरीर इन्हें जोड़नेवाली कड़ी है, वही काम भक्त और भगवान के मामले में भरतजी का है।

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