ई-मेल – भाग ५
ई-मेल इस्तेमाल करते समय सामनेवाले व्यक्ति से सीधे संपर्क नहीं होता। इसलिए उस व्यक्ति के समक्ष हम खुद को कितनी अच्छी तरह से पेश कर सकते हैं यह बात मायने रखती है। इसी को ई-मेल एटिकेट्स (शिष्टाचार) कहा जाता है।
ई-मेल इस्तेमाल करते समय सामनेवाले व्यक्ति से सीधे संपर्क नहीं होता। इसलिए उस व्यक्ति के समक्ष हम खुद को कितनी अच्छी तरह से पेश कर सकते हैं यह बात मायने रखती है। इसी को ई-मेल एटिकेट्स (शिष्टाचार) कहा जाता है।
ई-मेल डाटा संग्रहण (सेव्ह करना) का माध्यम बन सकता हैं। हमने देखा ई-मेल कम्पोज करते समय हम महत्त्वपूर्ण फाईल्स भी अटॅच करके भेज सकते हैं।
जी-मेल में देवनागरी में टाईप करने की सुविधा उपलब्ध हैं। इस हेतु किसी विशिष्ठ सॉफ्टवेअर की आवश्यकता नहीं होती।
मूल ई-मेल का इन्टरफ़ेस सफ़ेद होता है । इस में रंग संगति व पृष्ठचित्र बदला जा सकता हैं ।सबसे पहले जीमेल के होम-पेज में आए ।
Aniruddha Bapu - इलेक्ट्रॉनिक युग में इन्टरनेट के जन्म पश्चात यह मिनटों में आ गई व ई-मेल (इलेक्ट्रॉनिक मेल) के तेजी से प्रचलन में आते ही संदेश महज़ कुछ क्षणों में पहुँचने लगे।